जानिए मध्य प्रदेश में हाईकोर्ट से टकराव के मूड में क्यों हैं वकील
Tuesday - September 18, 2018 3:47 pm ,
Category : WTN HINDI
हाईकोर्ट ने वकीलों की आए दिनों होने वाले हड़ताल को बताया था अवैधानिक, वकील कर रहे एडवोकेट एक्ट की धारा 34 का विरोध
SEP 18 (WTN) - मध्य प्रदेश में आज वकील हड़ताल पर हैं। जी हां मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के एक निर्देश के विरोध में आज प्रदेश के क़रीब सवा लाख वकील हड़ताल पर हैं। आज के दिन को सभी वकील प्रतिवाद दिवस के रूप में मना रहे हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि प्रदेश स्टेट बार काउॅन्सिल की स्टेयरिंग कमेटी के आह्वान पर, मध्य प्रदेश की हाईकोर्ट की जबलपुर मुख्यपीठ समेत इन्दौर और ग्वालियर खण्डपीठ के किसी भी न्यायालय में अधिवक्ताओं ने पैरवी नहीं की।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि हाईकोर्ट द्वारा वकीलों की हड़ताल को लेकर दिए गए निर्देश को वकीलों ने दमनकारी बताया है। हाईकोर्ट ने एक वकील द्वारा दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने प्रदेश में आए दिन होने वाली वकीलों की हड़ताल को अवैधानिक करार दिया था। इसके साथ ही निर्देश का पालन नहीं करने पर दण्डात्मक आदेश भी जारी किए थे। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि एडवोकेट एक्ट की धारा 34, जिसके तहत वकीलों पर नियंत्रण करने का अधिकार हाईकोर्ट को दे दिया गया है उसी का विरोध अधिवक्ता कर रहे हैं।
दरअसल, बार कॉउन्सिल ऑफ़ इंडिया के निर्देश पर मध्य प्रदेश स्टेट बार कॉउन्सिल ने स्टेयरिंग कमेटी का गठन किया था। उसी स्टेयरिंग कमेटी ने आज यानि 18 सितम्बर को राज्यव्यापी प्रतिवाद दिवस मनाए जाने का फैसला लिया था।
वहीं दूसरी ओर हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार सतीश चन्द्र राय का कहा है कि 17 सितम्बर को फुलकोर्ट मीटिंग बुलाई गई थी, जिसमें निर्णय लिया गया था कि हाईकोर्ट की सहमति के बिना प्रतिवाद दिवस मनाया गया तो नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
लेकिन हाईकोर्ट के निर्देश और चेतावनी के बाद भी आज पूरे प्रदेश में वकील हड़ताल पर रहे। वकीलों के हड़ताल पर जाने के बाद मध्य प्रदेश के सभी ज़िलों में न्यायिक कार्य ठप पड़ गए। आज सभी ज़िला और तहसील अदालतों के वकीलों ने न्यायिक कार्य से दूर रहकर विरोध-प्रदर्शन किया।
वकीलों का तर्क है कि विरोध स्वरूप हड़ताल पर जाना उनका अधिकार है और इस पर रोक नहीं लगाई जा सकती है। वहीं हाईकोर्ट का कहना है कि वकीलों की कभी भी होने वाली हड़ताल से आम लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। वैसे हाईकोर्ट का कहना सही है क्योंकि वकीलों के हड़ताल पर जाने से न्यायिक कामकाज बाधित होता है। यदि वकीलों को विरोध ही करना है तो उसके लिए कई दूसरे रास्ते हैं बजाय हड़ताल पर जाने के।
SEP 18 (WTN) - मध्य प्रदेश में आज वकील हड़ताल पर हैं। जी हां मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के एक निर्देश के विरोध में आज प्रदेश के क़रीब सवा लाख वकील हड़ताल पर हैं। आज के दिन को सभी वकील प्रतिवाद दिवस के रूप में मना रहे हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि प्रदेश स्टेट बार काउॅन्सिल की स्टेयरिंग कमेटी के आह्वान पर, मध्य प्रदेश की हाईकोर्ट की जबलपुर मुख्यपीठ समेत इन्दौर और ग्वालियर खण्डपीठ के किसी भी न्यायालय में अधिवक्ताओं ने पैरवी नहीं की।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि हाईकोर्ट द्वारा वकीलों की हड़ताल को लेकर दिए गए निर्देश को वकीलों ने दमनकारी बताया है। हाईकोर्ट ने एक वकील द्वारा दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने प्रदेश में आए दिन होने वाली वकीलों की हड़ताल को अवैधानिक करार दिया था। इसके साथ ही निर्देश का पालन नहीं करने पर दण्डात्मक आदेश भी जारी किए थे। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि एडवोकेट एक्ट की धारा 34, जिसके तहत वकीलों पर नियंत्रण करने का अधिकार हाईकोर्ट को दे दिया गया है उसी का विरोध अधिवक्ता कर रहे हैं।
दरअसल, बार कॉउन्सिल ऑफ़ इंडिया के निर्देश पर मध्य प्रदेश स्टेट बार कॉउन्सिल ने स्टेयरिंग कमेटी का गठन किया था। उसी स्टेयरिंग कमेटी ने आज यानि 18 सितम्बर को राज्यव्यापी प्रतिवाद दिवस मनाए जाने का फैसला लिया था।
वहीं दूसरी ओर हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार सतीश चन्द्र राय का कहा है कि 17 सितम्बर को फुलकोर्ट मीटिंग बुलाई गई थी, जिसमें निर्णय लिया गया था कि हाईकोर्ट की सहमति के बिना प्रतिवाद दिवस मनाया गया तो नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
लेकिन हाईकोर्ट के निर्देश और चेतावनी के बाद भी आज पूरे प्रदेश में वकील हड़ताल पर रहे। वकीलों के हड़ताल पर जाने के बाद मध्य प्रदेश के सभी ज़िलों में न्यायिक कार्य ठप पड़ गए। आज सभी ज़िला और तहसील अदालतों के वकीलों ने न्यायिक कार्य से दूर रहकर विरोध-प्रदर्शन किया।
वकीलों का तर्क है कि विरोध स्वरूप हड़ताल पर जाना उनका अधिकार है और इस पर रोक नहीं लगाई जा सकती है। वहीं हाईकोर्ट का कहना है कि वकीलों की कभी भी होने वाली हड़ताल से आम लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। वैसे हाईकोर्ट का कहना सही है क्योंकि वकीलों के हड़ताल पर जाने से न्यायिक कामकाज बाधित होता है। यदि वकीलों को विरोध ही करना है तो उसके लिए कई दूसरे रास्ते हैं बजाय हड़ताल पर जाने के।