परम्परागत वोट बैंक की ‘नाराज़गी’ से भाजपा ‘बैकफुट’ पर, अब एससी वर्ग को ‘लुभाने’ की कवायद
Thursday - September 20, 2018 11:52 am ,
Category : WTN HINDI
एससी-एसटी एक्ट में संशोधन के बाद सवर्ण समाज और पिछड़ा वर्ग भाजपा से ‘नाराज़’
SEP 20 (WTN) – अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सभा में कम भीड़ का जुटना, और प्रधानमंत्री मोदी के बीच भाषण से लोगों का उठकर जाना भाजपा के लिए आने वाले दिनों के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं। इतना ही नहीं विदिशा में शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय का उद्घाटन करने आए शिवराज सिंह चौहान की सभा में आधे से ज़्यादा कुर्सियां खाली रहने, और भीड़ बढ़ाने के लिए स्कूली बच्चों को लाना साफ़ संकेत दे रहा है कि भाजपा इन दिनों ‘अपनों’ से ही नाराज़गी झेल रही है।
एससी-एसटी एक्ट में सुप्रीम कोर्ट के आदेश को दरकिनार करते हुए उसमें संशोधन और उसके बाद भाजपा नेताओं के विवादित बयानों से भाजपा के परम्परागत वोट बैंक सवर्ण और पिछड़ा नाराज़ हो गए हैं। और इनकी नाराज़गी का ख़ामियाज़ा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर मध्य प्रदेश के मुख्ममंत्री शिवराज सिंह चौहान तक को झेलना पड़ रहा है। इतना ही नहीं एससी-एसटी एक्ट में संशोधन के विरोध में मध्य प्रदेश में 6 सितम्बर के महाबंद और उज्जैन में ऐतिहासिक रैली के बाद भाजपा सहमी हुई है।
अब जबकि भाजपा को अपने परम्परागत वोट बैंक सवर्ण समाज और पिछड़ा वर्ग के दूर होने का आभास हो गया है, ऐसे में भाजपा की नज़र अब अनुसूचित जाति के वोट बैंक पर है। पिछड़ा वर्ग को साधने के लिए भाजपा ने सतना में बाकायदा ओबीसी महाकुम्भ किया था, पार्टी का दावा है कि पिछड़ा वर्ग को वो चुनाव तक अपने पक्ष में करने में सफल रहेगी। अब पार्टी का रूख एससी वोटों पर है और इसके लिए पार्टी अब वाल्मीकि महाकुम्भ की तैयारी कर रही है। भोपाल में होने जा रहे वाल्मीकि महाकुम्भ के ज़रिए भाजपा की कोशिश है कि एससी वर्ग के मतदाताओं को लुभाया जाए।
दरअसल एससी-एसटी एक्ट में संशोधन के बाद भाजपा दुविधा में है। यदि पार्टी इसका विरोध करती है तो इससे एससी वर्ग नाराज़ हो जाएगा, वहीं यदि इसका समर्थन करती है तो सवर्ण समजा और पिछड़ा वर्ग नाराज़ हो जाएगा। भाजपा जानती है कि चुनाव में सवर्ण समाज और पिछड़ा वर्ग की नाराज़गी उसे चुनाव में भारी पड़ सकती है क्योंकि इन दोनों का वोट बैंक ही सरकार किसकी बनेगी यह तय करेगा।
अब जबकि पार्टी को पता है कि सवर्ण समाज और पिछड़ा वर्ग उससे नाराज़ चल रहा है, तो ऐसे में पार्टी ने एससी मतदाताओं को अपने तरफ़ करने का प्लान बनाया है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मध्य प्रदेश में एससी मतदाताओं की जनसंख्या क़रीब 18 प्रतिशत है। प्रदेश में एससी वर्ग की 35 सीट रिज़र्व हैं। इस समय इन 35 सीटों में से भाजपा के पास 30, कांग्रेस के पास दो और बसपा के बास तीन सीटें हैं।
इस समय भाजपा के सामने काफ़ी विकट स्थिति है। भाजपा खुलकर किसी भी समाज का साथ नहीं दे सकती है। लेकिन जिस तरह से सवर्ण समाज और पिछड़ा वर्ग ने भाजपा के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया है, उससे साफ़ है कि भाजपा की 2018 के विधानसभा चुनाव जीतने की पूरी रणनीति गड़बड़ा गई है।
सवर्ण समाज और पिछड़ा वर्ग ही भाजपा का परम्परागत वोट बैंक माना जाता रहा है। अब जबकि एससी-एसटी एक्ट में संशोधन के बाद भाजपा का यह परम्परागत वोट बैंक नाराज़ चल रहा है, तो ऐसे में देखना होगा कि एससी वोटों पर दांव खेलकर भाजपा कितना सफ़ल हो पाती है। वैसे एससी वोटबैंक कभी भी भाजपा के साथ नहीं रहा है। कहा जा सकता है कि भाजपा ने अपने परम्परागत वोट बैंक सवर्ण समाज और पिछड़ा वर्ग को नाराज़ कर 2018 के विधानसभा चुनाव में हार की पटकथा लिख दी है।
SEP 20 (WTN) – अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सभा में कम भीड़ का जुटना, और प्रधानमंत्री मोदी के बीच भाषण से लोगों का उठकर जाना भाजपा के लिए आने वाले दिनों के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं। इतना ही नहीं विदिशा में शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय का उद्घाटन करने आए शिवराज सिंह चौहान की सभा में आधे से ज़्यादा कुर्सियां खाली रहने, और भीड़ बढ़ाने के लिए स्कूली बच्चों को लाना साफ़ संकेत दे रहा है कि भाजपा इन दिनों ‘अपनों’ से ही नाराज़गी झेल रही है।
एससी-एसटी एक्ट में सुप्रीम कोर्ट के आदेश को दरकिनार करते हुए उसमें संशोधन और उसके बाद भाजपा नेताओं के विवादित बयानों से भाजपा के परम्परागत वोट बैंक सवर्ण और पिछड़ा नाराज़ हो गए हैं। और इनकी नाराज़गी का ख़ामियाज़ा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर मध्य प्रदेश के मुख्ममंत्री शिवराज सिंह चौहान तक को झेलना पड़ रहा है। इतना ही नहीं एससी-एसटी एक्ट में संशोधन के विरोध में मध्य प्रदेश में 6 सितम्बर के महाबंद और उज्जैन में ऐतिहासिक रैली के बाद भाजपा सहमी हुई है।
अब जबकि भाजपा को अपने परम्परागत वोट बैंक सवर्ण समाज और पिछड़ा वर्ग के दूर होने का आभास हो गया है, ऐसे में भाजपा की नज़र अब अनुसूचित जाति के वोट बैंक पर है। पिछड़ा वर्ग को साधने के लिए भाजपा ने सतना में बाकायदा ओबीसी महाकुम्भ किया था, पार्टी का दावा है कि पिछड़ा वर्ग को वो चुनाव तक अपने पक्ष में करने में सफल रहेगी। अब पार्टी का रूख एससी वोटों पर है और इसके लिए पार्टी अब वाल्मीकि महाकुम्भ की तैयारी कर रही है। भोपाल में होने जा रहे वाल्मीकि महाकुम्भ के ज़रिए भाजपा की कोशिश है कि एससी वर्ग के मतदाताओं को लुभाया जाए।
दरअसल एससी-एसटी एक्ट में संशोधन के बाद भाजपा दुविधा में है। यदि पार्टी इसका विरोध करती है तो इससे एससी वर्ग नाराज़ हो जाएगा, वहीं यदि इसका समर्थन करती है तो सवर्ण समजा और पिछड़ा वर्ग नाराज़ हो जाएगा। भाजपा जानती है कि चुनाव में सवर्ण समाज और पिछड़ा वर्ग की नाराज़गी उसे चुनाव में भारी पड़ सकती है क्योंकि इन दोनों का वोट बैंक ही सरकार किसकी बनेगी यह तय करेगा।
अब जबकि पार्टी को पता है कि सवर्ण समाज और पिछड़ा वर्ग उससे नाराज़ चल रहा है, तो ऐसे में पार्टी ने एससी मतदाताओं को अपने तरफ़ करने का प्लान बनाया है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मध्य प्रदेश में एससी मतदाताओं की जनसंख्या क़रीब 18 प्रतिशत है। प्रदेश में एससी वर्ग की 35 सीट रिज़र्व हैं। इस समय इन 35 सीटों में से भाजपा के पास 30, कांग्रेस के पास दो और बसपा के बास तीन सीटें हैं।
इस समय भाजपा के सामने काफ़ी विकट स्थिति है। भाजपा खुलकर किसी भी समाज का साथ नहीं दे सकती है। लेकिन जिस तरह से सवर्ण समाज और पिछड़ा वर्ग ने भाजपा के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया है, उससे साफ़ है कि भाजपा की 2018 के विधानसभा चुनाव जीतने की पूरी रणनीति गड़बड़ा गई है।
सवर्ण समाज और पिछड़ा वर्ग ही भाजपा का परम्परागत वोट बैंक माना जाता रहा है। अब जबकि एससी-एसटी एक्ट में संशोधन के बाद भाजपा का यह परम्परागत वोट बैंक नाराज़ चल रहा है, तो ऐसे में देखना होगा कि एससी वोटों पर दांव खेलकर भाजपा कितना सफ़ल हो पाती है। वैसे एससी वोटबैंक कभी भी भाजपा के साथ नहीं रहा है। कहा जा सकता है कि भाजपा ने अपने परम्परागत वोट बैंक सवर्ण समाज और पिछड़ा वर्ग को नाराज़ कर 2018 के विधानसभा चुनाव में हार की पटकथा लिख दी है।