लोकसभा चुनाव से पहले कर्मचारियों को खुश करने मोदी सरकार खेल सकती है ईपीएफ़ ब्याज दर में व़ृद्धि के रूप में एक बड़ा ‘मास्टर स्ट्रोक’
Wednesday - February 13, 2019 2:37 pm ,
Category : WTN HINDI

8.55 प्रतिशत से ज्यादा हो सकती है ईपीएफ़ ब्याज दर
इनकम टैक्स छूट सीमा बढ़ाने के बाद कर्मचारियों को मिल सकता का ईपीएफ़ ब्याज दर में बढ़ोतरी का ‘तोहफा’
FEB 13 (WTN) – लोकसभा चुनाव के लिए बस कुछ ही समय शेष बचा है, ऐसे में केन्द्र की मोदी सरकार पूरी कोशिश में है कि हर वर्ग को खुश रखा जाए। सरकार जानती है कि कर्मचारियों के हित में किया गया काम हमेशा से ही चुनावों के समय सरकारों के फायदे में रहा है। इसी संदर्भ में चर्चाओं का बाज़ार गर्म है कि मोदी सरकार ईपीएफ़ ब्याज दर बढ़ाकर कर्मचारियों को लोकसभा चुनाव से पहले एक और बड़ी सौगात दे सकती है। इधर, ईपीएफ़ओ यानि कि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिये अपने 6 करोड़ से ज़्यादा अंशधारक कर्मचारियों की भविष्य निधि की ब्याज दर पर 21 फरवरी को फैसला लेने जा रहा है।
फिलहाल जो जानकारी है उसके अनुसार, इस दिन होने वाली ईपीएफ़ओ के न्यासियों की बैठक में ईपीएफ़ पर ब्याज दर 8.55 प्रतिशत बरकरार रखने पर सहमित बन सकती है। कहा जा रहा है कि ईपीएफ़ पर ब्याज दर चालू वित्तीय वर्ष के लिये साल 2017-18 की तरह 8.55 प्रतिशत रखी जा सकती है। लेकिन लोकसभा चुनाव को ध्यान रखते हुए ईपीएफ़ की ब्याज दर में वृद्धि भी हो सकती है और उसे 8.55 प्रतिशत से अधिक भी रखा जा सकता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि श्रम मंत्री की अध्यक्षता वाला न्यासी बोर्ड ईपीएफ़ओ के निर्णय लेने वाली सर्वोच्च इकाई है। न्यासी बोर्ड ही हर वित्तीय वर्ष के लिये भविष्य निधि में जमा राशि पर ब्याज दर का निर्धारण करता है।
ईपीएफ़ओ न्यासी बोर्ड की मन्जूरी के बाद ब्याज दर के प्रस्ताव को नियमानुसार वित्त मंत्रालय की सहमति के लिए भेजा जाएगा। जब वित्त मंत्रालय से ब्याज दर के प्रस्ताव को मन्जूरी मिल जाएगी तो उसके बाद ही अंशधारकों के खाते में ब्याज को डाला जाएगा। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि समय-समय पर ईपीएफ़ में जमा राशि की ब्याज दर में परिवर्तन होता रहता है।
वित्तीय वर्ष 2017-18 में ईपीएफ़ओ ने अपने अंशधारकों को जमाराशि पर 8.55 प्रतिशत ब्याज दिया था। वहीं वित्तीय वर्ष 2016-17 के लिए ब्याज की दर 8.65 प्रतिशत थी, तो वित्तीय वर्ष 2015-16 में ईपीएफ़ पर ब्याज दर 8.80 प्रतिशत थी। इससे पहले 2013-14 और 2014-15, लगातार दो वित्तीय वर्ष में ब्याज दर 8.75 प्रतिशत थी।
अब देखना होगा कि लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए ईपीएफ़ओ के न्यासियों की बैठक में क्या फ़ैसला लिया जाता है। जिस तरह से मोदी सरकार ने नौकरीपेशा लोगों के लिए इनकम टैक्स छूट की सीमा को 5 लाख रुपये तक बढ़ाकर एक बहुत बड़ी राहत दी है, उसी तरह हो सकता है कि ईपीएफ़ ब्याज दर में वृद्धि कर मोदी सरकार एक और सौगात नौकरीपेशा वर्ग को दे। यदि प्रधानमंत्री मोदी ईपीएफ़ ब्याज दर में वृद्धि करते हैं तो इसे लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार का एक बड़ा मास्टर स्ट्रोक कहा जा सकता है।
FEB 13 (WTN) – लोकसभा चुनाव के लिए बस कुछ ही समय शेष बचा है, ऐसे में केन्द्र की मोदी सरकार पूरी कोशिश में है कि हर वर्ग को खुश रखा जाए। सरकार जानती है कि कर्मचारियों के हित में किया गया काम हमेशा से ही चुनावों के समय सरकारों के फायदे में रहा है। इसी संदर्भ में चर्चाओं का बाज़ार गर्म है कि मोदी सरकार ईपीएफ़ ब्याज दर बढ़ाकर कर्मचारियों को लोकसभा चुनाव से पहले एक और बड़ी सौगात दे सकती है। इधर, ईपीएफ़ओ यानि कि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिये अपने 6 करोड़ से ज़्यादा अंशधारक कर्मचारियों की भविष्य निधि की ब्याज दर पर 21 फरवरी को फैसला लेने जा रहा है।
फिलहाल जो जानकारी है उसके अनुसार, इस दिन होने वाली ईपीएफ़ओ के न्यासियों की बैठक में ईपीएफ़ पर ब्याज दर 8.55 प्रतिशत बरकरार रखने पर सहमित बन सकती है। कहा जा रहा है कि ईपीएफ़ पर ब्याज दर चालू वित्तीय वर्ष के लिये साल 2017-18 की तरह 8.55 प्रतिशत रखी जा सकती है। लेकिन लोकसभा चुनाव को ध्यान रखते हुए ईपीएफ़ की ब्याज दर में वृद्धि भी हो सकती है और उसे 8.55 प्रतिशत से अधिक भी रखा जा सकता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि श्रम मंत्री की अध्यक्षता वाला न्यासी बोर्ड ईपीएफ़ओ के निर्णय लेने वाली सर्वोच्च इकाई है। न्यासी बोर्ड ही हर वित्तीय वर्ष के लिये भविष्य निधि में जमा राशि पर ब्याज दर का निर्धारण करता है।
ईपीएफ़ओ न्यासी बोर्ड की मन्जूरी के बाद ब्याज दर के प्रस्ताव को नियमानुसार वित्त मंत्रालय की सहमति के लिए भेजा जाएगा। जब वित्त मंत्रालय से ब्याज दर के प्रस्ताव को मन्जूरी मिल जाएगी तो उसके बाद ही अंशधारकों के खाते में ब्याज को डाला जाएगा। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि समय-समय पर ईपीएफ़ में जमा राशि की ब्याज दर में परिवर्तन होता रहता है।
वित्तीय वर्ष 2017-18 में ईपीएफ़ओ ने अपने अंशधारकों को जमाराशि पर 8.55 प्रतिशत ब्याज दिया था। वहीं वित्तीय वर्ष 2016-17 के लिए ब्याज की दर 8.65 प्रतिशत थी, तो वित्तीय वर्ष 2015-16 में ईपीएफ़ पर ब्याज दर 8.80 प्रतिशत थी। इससे पहले 2013-14 और 2014-15, लगातार दो वित्तीय वर्ष में ब्याज दर 8.75 प्रतिशत थी।
अब देखना होगा कि लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए ईपीएफ़ओ के न्यासियों की बैठक में क्या फ़ैसला लिया जाता है। जिस तरह से मोदी सरकार ने नौकरीपेशा लोगों के लिए इनकम टैक्स छूट की सीमा को 5 लाख रुपये तक बढ़ाकर एक बहुत बड़ी राहत दी है, उसी तरह हो सकता है कि ईपीएफ़ ब्याज दर में वृद्धि कर मोदी सरकार एक और सौगात नौकरीपेशा वर्ग को दे। यदि प्रधानमंत्री मोदी ईपीएफ़ ब्याज दर में वृद्धि करते हैं तो इसे लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार का एक बड़ा मास्टर स्ट्रोक कहा जा सकता है।