जानिए आखिर क्यों धीरे-धीरे लोकप्रिय हो रहा है टेलीग्राम?
Friday - March 15, 2019 12:03 pm ,
Category : WTN HINDI
बेहतर प्राइवेसी और फ़ीचर्स के कारण बढ़ रहे हैं टेलीग्राम के यूजर्स
MAR 15 (WTN) – कई बार आपने देखा होगा कि किसी के नुकसान से किसी का फायदा हो जाता है, ऐसा ही कुछ हुआ है सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक और मैसेजिंग सर्विस प्रोवाइडर टेलीग्राम के बीच। जीहां क्योंकि कुछ समय के लिए फेसबुक ठप होने का सबसे ज्यादा फायदा टेलीग्राम को हुआ है। पिछले 24 घंटे में फेसबुक, फेसबुक मैसेंजर, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप के ठप होने के कारण लाखों की तादात में यूजर्स ने टेलीग्राम पर साइन अप किया है।
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि पिछले 24 घंटे में करीब 30 लाख यूजर्स ने टेलीग्राम पर साइन अप किया है और इस बार की जानकारी खुद टेलीग्राम के फाउंडर और सीईओ पावेल डूरोव ने अपने पर्सनल टेलीग्राम चैनल पर दी है।
फेसबुक जैसे बड़ी सोशल नेटवर्किंग साइट के लिए 30 लाख यूजर्स की संख्या कोई बड़ी नहीं है, लेकिन यह संख्या टेलीग्राम जैसे मैसेजिंग प्लेटफॉर्म के लिए एक बड़ा नम्बर है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पिछले साल मार्च में इस प्लेटफॉर्म पर करीब 20 करोड़ एक्टिव यूजर्स थे।
दिनों दिन भारत समेत पूरी दुनिया में लोकप्रिय हो रही टेलीग्राम की एनक्रिप्टेड मैसेजिंग सर्विस बहुत हद तक व्हाट्सएप की तरह काम करती है। टेलीग्राम पर फेसबुक की तरह विज्ञापन नहीं आते हैं और फिलहाल यह सर्विस यूजर्स के डोनेशन पर काम कर रही है।
वैसे टेलीग्राम पर लाखों की तादात में यूजर्स के जुड़ने का एक कारण यह भी है कि टेलीग्राम हमेशा से यूजर्स की प्राइवेसी पर सबसे ज्यादा जोर देता है और उसके फ़ीचर्स भी इस तरह के हैं जबकि समय-समय पर फेसबुक पर यूजर्स के डेटा चोरी और उसके आधार पर विज्ञापन टार्गेट करने के आरोप लग चुके हैं।
वहीं आपकी जानकारी के लिए बता दें कि टेलीग्राम ने साल 2013 में ही एंड टू एंड एन्क्रिप्शन फ़ीचर जोड़ दिया था, जबकि व्हाट्सएप पर ये फ़ीचर तीन साल बाद यानी साल 2016 में आया था। तो कहा जा सकता है कि टेलीग्राम की प्राइवेसी बेहतर होने के कारण धीरे-धीरे इस पर यूजर्स की संख्या बढ़ती जा रही है।
कुछ दिनों पहले इस सोशल मैसेंजर कम्पनी ने अपने एक ब्लॉग में लिखा था कि जब से टेलीग्राम कम्पनी बनी है, तब से इसका डेटा किसी भी थर्ड पार्टी को शेयर नहीं किया गया है। टेलीग्राम कम्पनी का यह भी दावा है कि उसका कोई शेयर होल्डर या विज्ञापनदाता नहीं है जिसे उसे अपनी डेटा रिपोर्ट देनी हो। साथ ही कम्पनी का कहना है कि ना ही किसी मार्केट और डेटा पर काम करने कम्पनी या फिर किसी गवर्नमेंट एजेंसी से कम्पनी का कोई सम्बन्ध है।
वहीं भारत में लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए राजनीतिक दलों का रुझान व्हाट्सएप से हटकर टेलीग्राम की तरफ जा रहा है क्योंकि जहां व्हाट्सएप में एक ग्रुप में ज्यादा से ज्यादा 256 लोगों को जोड़ा जा सकता है तो वहीं टेलीग्राम में एक ग्रुप में 2 लाख मेम्बर जोड़े जा सकते हैं। तो देखा आपने कि किस तरह अपनी प्राइवेसी पॉलिसी और बेहतर फ़ीचर्स के कारण धीरे-धीरे भारत में टेलीग्राम लोकप्रिय होता जा रहा है।
MAR 15 (WTN) – कई बार आपने देखा होगा कि किसी के नुकसान से किसी का फायदा हो जाता है, ऐसा ही कुछ हुआ है सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक और मैसेजिंग सर्विस प्रोवाइडर टेलीग्राम के बीच। जीहां क्योंकि कुछ समय के लिए फेसबुक ठप होने का सबसे ज्यादा फायदा टेलीग्राम को हुआ है। पिछले 24 घंटे में फेसबुक, फेसबुक मैसेंजर, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप के ठप होने के कारण लाखों की तादात में यूजर्स ने टेलीग्राम पर साइन अप किया है।
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि पिछले 24 घंटे में करीब 30 लाख यूजर्स ने टेलीग्राम पर साइन अप किया है और इस बार की जानकारी खुद टेलीग्राम के फाउंडर और सीईओ पावेल डूरोव ने अपने पर्सनल टेलीग्राम चैनल पर दी है।
फेसबुक जैसे बड़ी सोशल नेटवर्किंग साइट के लिए 30 लाख यूजर्स की संख्या कोई बड़ी नहीं है, लेकिन यह संख्या टेलीग्राम जैसे मैसेजिंग प्लेटफॉर्म के लिए एक बड़ा नम्बर है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पिछले साल मार्च में इस प्लेटफॉर्म पर करीब 20 करोड़ एक्टिव यूजर्स थे।
दिनों दिन भारत समेत पूरी दुनिया में लोकप्रिय हो रही टेलीग्राम की एनक्रिप्टेड मैसेजिंग सर्विस बहुत हद तक व्हाट्सएप की तरह काम करती है। टेलीग्राम पर फेसबुक की तरह विज्ञापन नहीं आते हैं और फिलहाल यह सर्विस यूजर्स के डोनेशन पर काम कर रही है।
वैसे टेलीग्राम पर लाखों की तादात में यूजर्स के जुड़ने का एक कारण यह भी है कि टेलीग्राम हमेशा से यूजर्स की प्राइवेसी पर सबसे ज्यादा जोर देता है और उसके फ़ीचर्स भी इस तरह के हैं जबकि समय-समय पर फेसबुक पर यूजर्स के डेटा चोरी और उसके आधार पर विज्ञापन टार्गेट करने के आरोप लग चुके हैं।
वहीं आपकी जानकारी के लिए बता दें कि टेलीग्राम ने साल 2013 में ही एंड टू एंड एन्क्रिप्शन फ़ीचर जोड़ दिया था, जबकि व्हाट्सएप पर ये फ़ीचर तीन साल बाद यानी साल 2016 में आया था। तो कहा जा सकता है कि टेलीग्राम की प्राइवेसी बेहतर होने के कारण धीरे-धीरे इस पर यूजर्स की संख्या बढ़ती जा रही है।
कुछ दिनों पहले इस सोशल मैसेंजर कम्पनी ने अपने एक ब्लॉग में लिखा था कि जब से टेलीग्राम कम्पनी बनी है, तब से इसका डेटा किसी भी थर्ड पार्टी को शेयर नहीं किया गया है। टेलीग्राम कम्पनी का यह भी दावा है कि उसका कोई शेयर होल्डर या विज्ञापनदाता नहीं है जिसे उसे अपनी डेटा रिपोर्ट देनी हो। साथ ही कम्पनी का कहना है कि ना ही किसी मार्केट और डेटा पर काम करने कम्पनी या फिर किसी गवर्नमेंट एजेंसी से कम्पनी का कोई सम्बन्ध है।
वहीं भारत में लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए राजनीतिक दलों का रुझान व्हाट्सएप से हटकर टेलीग्राम की तरफ जा रहा है क्योंकि जहां व्हाट्सएप में एक ग्रुप में ज्यादा से ज्यादा 256 लोगों को जोड़ा जा सकता है तो वहीं टेलीग्राम में एक ग्रुप में 2 लाख मेम्बर जोड़े जा सकते हैं। तो देखा आपने कि किस तरह अपनी प्राइवेसी पॉलिसी और बेहतर फ़ीचर्स के कारण धीरे-धीरे भारत में टेलीग्राम लोकप्रिय होता जा रहा है।