क्या 1989 का रक्तरंजित इतिहास फ़िर दोहराएगा चीन?
Wednesday - August 14, 2019 12:28 pm ,
Category : WTN HINDI

हांगकांग में बड़े पैमाने पर लोकतंत्र समर्थन आंदोलन जारी
लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ हांगकांग में चीनी सेना के इस्तेमाल की 'आशंका'
AUG 14 (WTN) – लेख का शीर्षक पढ़कर आप सोच रहे होंगे कि आख़िर 1989 में ऐसा क्या हुआ था, जिसे चीन दोहराने जा रहा है? आपकी जिज्ञासा को शांत करते हुए हम इस बारे में आपको विस्तार से जानकारी देते हैं। सबसे पहले आपको बताते हैं कि साल 1989 में चीन में क्या हुआ था दरअसल, साल 1989 में चीन में लोकतंत्र के समर्थन में बढ़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए थे। चीन के लोकतंत्र समर्थकों का कहना है था कि चीन में साम्यवादी शासन व्यवस्था की जगह पर लोकंत्रातिक पद्धति होना चाहिए।
लोकतंत्र समर्थक आंदोलन का बड़ा केन्द्र चीन की राजधानी बीजिंग का थियानमेन चौक था। कई दिनों के 'शान्तिपूर्ण' प्रदर्शन के बाद चीन की साम्यवादी सरकार ने सेना की मदद से लोकतंत्र समर्थक आंदोलनकारियों का 'दमन' किया था। एक ब्रिटिश पुरालेख के मुताबिक़, लोकतंत्र समर्थक आंदोलनकारियों के ख़िलाफ़ चीन की साम्यवादी सरकार ने सेना के टैंकों को सड़कों पर उतार दिया था। चीनी सेना की इस 'कार्रवाई' में क़रीब 10,000 आम लोग मारे गये थे। पूरी दुनिया में इसे चीन की साम्यवादी सरकार द्वारा किया गया 'नरंसहार' कहा जाता है।
1989 के थ्यानमेन चौक 'नरसंहार' के 30 सालों बाद, एक बार फ़िर पूरी दुनिया को 'आशंका' है कि चीन की साम्यवादी सरकार कहीं एक बार फ़िर से सरकार के ख़िलाफ़ हो रहे आंदोलनकारियों को 'कुचलने' के लिए सेना का इस्तेमाल तो नहीं करने जा रही है? इस बार आंदोलन चीन की राजधानी बीजिंग में नहीं, बल्कि हांगकांग में हो रहा है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि चीनी सरकार के एक विवादित फ़ैसले के बाद से दुनिया के सबसे बड़े शहरों में से एक हांगकांग में लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शन ने अब हिंसक रूप ले लिया है। कई दिनों तक सड़कों पर प्रदर्शन के बाद अब हज़ारों की तादात में प्रदर्शनकारियों ने एअरपोर्ट का घएराव कर लिया है, जिसेक बाद हांगकांग से फ्लाइट सेवा पर असर पड़ा है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि हांगकांग में लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शन पिछले क़रीब 10 हफ्तों से चल रहा है। हांगकांग में यह प्रदर्शन एक प्रत्यर्पण बिल आने के बाद तेज़ हुआ है। इस नये बिल का हांगकांग में बड़े पैमाने पर विरोध हो रहा है। इस बिल के मुताबिक़, यदि कोई व्यक्ति चीन में अपराध करने के बाद हांगकांग आ जाता है तो उसे पूछताछ करने के लिए वापस चीन ले जाया जा सकता है।
हांगकांग सरकार इस क़ानून में संशोधन के लिए फरवरी में इस पर प्रस्ताव लाई थी। क़ानून में संशोधन का प्रस्ताव एक घटना के बाद लाया गया था, जिसमें एक व्यक्ति ने ताइवान में अपनी प्रेमिका की कथित तौर पर हत्या कर दी और हांगकांग भाग आया था। इसी बिल के विरोध में पिछले कई दिनों से हांगकांग में 'आंदोलन' चल रहा है। वैसे आपकी जानकारी के लिए बता दें कि हांगकांग पहले ब्रिटेन का एक उपनिवेश था, लेकिन साल 1997 से हांगकांग चीन का एक विशेष प्रशासनिक क्षेत्र बन गया है।
1989 के लोकतंत्र समर्थन आंदोलन को जिस तरह से चीन की साम्यवादी सरकार ने 'दबाया' था, उसी तरह से कुछ इस बार फ़िर शायद चीन की सरकार करने जा रही है। हांगकांग में लगातार हो रहे विरोध प्रदर्शन के बाद चीन की सरकार ने हांगकांग प्रशासन को 'सख्त कार्रवाई' करने को कहा है। हांगकांग में लगाकार कई दिनों से हो रहे प्रदर्शन से 'चिंतित' चीनी सरकार ने प्रदर्शनकारियों को 'गुण्डा' करार दिया है। इतना ही नहीं, चीनी सरकार ने इस प्रदर्शन की तुलना 'आतंकवाद' फ़ैलाने से कर दी है।
कहा जा रहा है कि इस आंदोलन को 'कुचलने' के लिए चीन की साम्यवादी सरकार ने 'सैन्य इस्तेमाल' की धमकी भी दी है, और इसके बाद हांगकांग शहर के बाहर बख्तरबंद गाड़ियां की तैनाती कर दी गई है, जिसके बाद 'आशंका' जाहिर की जा रही है कि चीन की साम्यवादी सरकार कहीं 1989 के थ्यानमेन चौक का इतिहास तो दोहराने नहीं जा रही है।
चीनी सरकार के इस क़दम के ख़िलाफ़ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ट्वीट कर 'चिंता' जाहिर की है। ट्रम्प ने अपनी ट्वीट में लिखा है, “उनकी इंटेलिजेंस रिपोर्ट है कि हांगकांग बॉर्डर के पास चीन अपनी सेना की तैनाती कर सकता है, ताकि प्रदर्शनकारियों पर एक्शन लिया जा सके।” वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने एक और ट्वीट करते हुए कहा कि हांगकांग में हो रही विरोध प्रदर्शन के लिए उन्हें ज़िम्मेदार क्यों ठहराया जा रहा है। ट्रम्प ने कहा, “हांगकांग में जारी परेशानियों के लिए कई लोग मुझे और अमेरिका को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। मैं सोच नहीं सकता हूं कि आख़िर ऐसा क्यों?”
इधर, हांगकांग में हो रहे लगातार विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए भारत सरकार ने भी अपने नागरिकों के लिए एक एडवाइज़री जारी कर दी है। भारत सरकार की ओर से अपने नागरिकों से कहा गया है कि भारतीय नागिरक हांगकांग जाने से परहेज करें और किसी भी तरह की परेशानी से बचने के लिए दूसरे मार्ग को चुनें। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि नौकरी, व्यापार और पर्यटन की दृष्टि से हजारों की तादात में भारतीय नागरिक हर साल हांगकांग जाते हैं।
हांगकांग में हो रहे लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शन पर दुनिया की निगाहें टिकी हुई हैं। पूरी दुनिया यह देख रही है कि चीन की साम्यवादी सरकार हांगकांग में हो रहे लोकतंत्र समर्थन प्रदर्शनकारियों से किस तरह से निपटती है? यदि यह ख़बर सही है कि हांगकांग शहर की सीमा के पास सेना की बख्तरंबद गाड़ियों की तैनाती की गई है तो पूरी दुनिया को 'आशंका' है कि चीन की साम्यवादी सरकार हांगकांग के प्रदर्शनकारियों के साथ वहीं 'सलूक' ना करे, जो उसने 1989 में बीजिंग में लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों के साथ किया था।
AUG 14 (WTN) – लेख का शीर्षक पढ़कर आप सोच रहे होंगे कि आख़िर 1989 में ऐसा क्या हुआ था, जिसे चीन दोहराने जा रहा है? आपकी जिज्ञासा को शांत करते हुए हम इस बारे में आपको विस्तार से जानकारी देते हैं। सबसे पहले आपको बताते हैं कि साल 1989 में चीन में क्या हुआ था दरअसल, साल 1989 में चीन में लोकतंत्र के समर्थन में बढ़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए थे। चीन के लोकतंत्र समर्थकों का कहना है था कि चीन में साम्यवादी शासन व्यवस्था की जगह पर लोकंत्रातिक पद्धति होना चाहिए।
लोकतंत्र समर्थक आंदोलन का बड़ा केन्द्र चीन की राजधानी बीजिंग का थियानमेन चौक था। कई दिनों के 'शान्तिपूर्ण' प्रदर्शन के बाद चीन की साम्यवादी सरकार ने सेना की मदद से लोकतंत्र समर्थक आंदोलनकारियों का 'दमन' किया था। एक ब्रिटिश पुरालेख के मुताबिक़, लोकतंत्र समर्थक आंदोलनकारियों के ख़िलाफ़ चीन की साम्यवादी सरकार ने सेना के टैंकों को सड़कों पर उतार दिया था। चीनी सेना की इस 'कार्रवाई' में क़रीब 10,000 आम लोग मारे गये थे। पूरी दुनिया में इसे चीन की साम्यवादी सरकार द्वारा किया गया 'नरंसहार' कहा जाता है।
1989 के थ्यानमेन चौक 'नरसंहार' के 30 सालों बाद, एक बार फ़िर पूरी दुनिया को 'आशंका' है कि चीन की साम्यवादी सरकार कहीं एक बार फ़िर से सरकार के ख़िलाफ़ हो रहे आंदोलनकारियों को 'कुचलने' के लिए सेना का इस्तेमाल तो नहीं करने जा रही है? इस बार आंदोलन चीन की राजधानी बीजिंग में नहीं, बल्कि हांगकांग में हो रहा है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि चीनी सरकार के एक विवादित फ़ैसले के बाद से दुनिया के सबसे बड़े शहरों में से एक हांगकांग में लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शन ने अब हिंसक रूप ले लिया है। कई दिनों तक सड़कों पर प्रदर्शन के बाद अब हज़ारों की तादात में प्रदर्शनकारियों ने एअरपोर्ट का घएराव कर लिया है, जिसेक बाद हांगकांग से फ्लाइट सेवा पर असर पड़ा है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि हांगकांग में लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शन पिछले क़रीब 10 हफ्तों से चल रहा है। हांगकांग में यह प्रदर्शन एक प्रत्यर्पण बिल आने के बाद तेज़ हुआ है। इस नये बिल का हांगकांग में बड़े पैमाने पर विरोध हो रहा है। इस बिल के मुताबिक़, यदि कोई व्यक्ति चीन में अपराध करने के बाद हांगकांग आ जाता है तो उसे पूछताछ करने के लिए वापस चीन ले जाया जा सकता है।
हांगकांग सरकार इस क़ानून में संशोधन के लिए फरवरी में इस पर प्रस्ताव लाई थी। क़ानून में संशोधन का प्रस्ताव एक घटना के बाद लाया गया था, जिसमें एक व्यक्ति ने ताइवान में अपनी प्रेमिका की कथित तौर पर हत्या कर दी और हांगकांग भाग आया था। इसी बिल के विरोध में पिछले कई दिनों से हांगकांग में 'आंदोलन' चल रहा है। वैसे आपकी जानकारी के लिए बता दें कि हांगकांग पहले ब्रिटेन का एक उपनिवेश था, लेकिन साल 1997 से हांगकांग चीन का एक विशेष प्रशासनिक क्षेत्र बन गया है।
1989 के लोकतंत्र समर्थन आंदोलन को जिस तरह से चीन की साम्यवादी सरकार ने 'दबाया' था, उसी तरह से कुछ इस बार फ़िर शायद चीन की सरकार करने जा रही है। हांगकांग में लगातार हो रहे विरोध प्रदर्शन के बाद चीन की सरकार ने हांगकांग प्रशासन को 'सख्त कार्रवाई' करने को कहा है। हांगकांग में लगाकार कई दिनों से हो रहे प्रदर्शन से 'चिंतित' चीनी सरकार ने प्रदर्शनकारियों को 'गुण्डा' करार दिया है। इतना ही नहीं, चीनी सरकार ने इस प्रदर्शन की तुलना 'आतंकवाद' फ़ैलाने से कर दी है।
कहा जा रहा है कि इस आंदोलन को 'कुचलने' के लिए चीन की साम्यवादी सरकार ने 'सैन्य इस्तेमाल' की धमकी भी दी है, और इसके बाद हांगकांग शहर के बाहर बख्तरबंद गाड़ियां की तैनाती कर दी गई है, जिसके बाद 'आशंका' जाहिर की जा रही है कि चीन की साम्यवादी सरकार कहीं 1989 के थ्यानमेन चौक का इतिहास तो दोहराने नहीं जा रही है।
चीनी सरकार के इस क़दम के ख़िलाफ़ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ट्वीट कर 'चिंता' जाहिर की है। ट्रम्प ने अपनी ट्वीट में लिखा है, “उनकी इंटेलिजेंस रिपोर्ट है कि हांगकांग बॉर्डर के पास चीन अपनी सेना की तैनाती कर सकता है, ताकि प्रदर्शनकारियों पर एक्शन लिया जा सके।” वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने एक और ट्वीट करते हुए कहा कि हांगकांग में हो रही विरोध प्रदर्शन के लिए उन्हें ज़िम्मेदार क्यों ठहराया जा रहा है। ट्रम्प ने कहा, “हांगकांग में जारी परेशानियों के लिए कई लोग मुझे और अमेरिका को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। मैं सोच नहीं सकता हूं कि आख़िर ऐसा क्यों?”
इधर, हांगकांग में हो रहे लगातार विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए भारत सरकार ने भी अपने नागरिकों के लिए एक एडवाइज़री जारी कर दी है। भारत सरकार की ओर से अपने नागरिकों से कहा गया है कि भारतीय नागिरक हांगकांग जाने से परहेज करें और किसी भी तरह की परेशानी से बचने के लिए दूसरे मार्ग को चुनें। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि नौकरी, व्यापार और पर्यटन की दृष्टि से हजारों की तादात में भारतीय नागरिक हर साल हांगकांग जाते हैं।
हांगकांग में हो रहे लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शन पर दुनिया की निगाहें टिकी हुई हैं। पूरी दुनिया यह देख रही है कि चीन की साम्यवादी सरकार हांगकांग में हो रहे लोकतंत्र समर्थन प्रदर्शनकारियों से किस तरह से निपटती है? यदि यह ख़बर सही है कि हांगकांग शहर की सीमा के पास सेना की बख्तरंबद गाड़ियों की तैनाती की गई है तो पूरी दुनिया को 'आशंका' है कि चीन की साम्यवादी सरकार हांगकांग के प्रदर्शनकारियों के साथ वहीं 'सलूक' ना करे, जो उसने 1989 में बीजिंग में लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों के साथ किया था।