आख़िर क्यों राजनीति में पूरी तरह से सक्रिय नज़र नहीं आ रहे हैं राहुल गांधी?
Friday - September 13, 2019 2:51 pm ,
Category : WTN HINDI

क्या लोकसभा चुनाव में हार के बाद राहुल गांधी कर रहे हैं आत्ममंथन?
क्या रणनीति के चलते राजनीति में इन दिनों सक्रिय नहीं हैं राहुल गांधी?
SEP 13 (WTN) – भारत की वर्तमान राजनीति में राहुल गांधी एक ऐसा नाम है, जो हमेशा से चर्चा में रहता है। लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस की ऐतिहासिक हार के बाद राहुल गांधी की नेतृत्व क्षमता पर उनकी पार्टी में ही सवाल उठने लगे थे। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की और अमेठी सीट से ख़ुद की हार से निराश और नाराज़ राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दे दिया था। राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष पद पर बने रहें, इसके लिए उन्हें मनाने के लिए कांग्रेस में काफ़ी लम्बा नाटकीय घटनाक्रम चला। लेकिन राहुल गांधी अपने इस्तीफ़े पर अड़े रहे, और आख़िरकार सोनिया गांधी को कांग्रेस का अंतरिम अध्यक्ष बनाया गया।
नाटकीय घटनाक्रम के बाद आख़िरकार गांधी परिवार के ही व्यक्ति को एक बार फ़िर से कांग्रेस की कमान मिली। लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि लोकसभा चुनाव में हार के बाद काफ़ी समय तक सक्रिय रहे राहुल गांधी अब राजनीति में ज़्यादा सक्रिय नज़र नहीं आते हैं, और ना ही राहुल गांधी कांग्रेस की बैठकों में नज़र आ रहे हैं।
कांग्रेस पार्टी में राहुल गांधी का कितना प्रभाव है यह सभी जानते हैं। हाल ही में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने एक बड़ी बैठक दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय में बुलाई थी। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पिछले कुछ सालों में यह ऐसी पहली बड़ी बैठक थी, जिसमें राहुल गांधी शामिल नहीं हुए।
कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी महासचिवों, राज्य प्रभारियों, विधानमण्डल दल के नेताओं की बैठक बुलाई थी। हालांकि, राहुल गांधी इस समय इनमें से किसी भी पद पर नहीं हैं, इसलिए वो इस बैठक में नहीं आए। कांग्रेस पार्टी में पद के हिसाब से राहुल गांधी अभी कांग्रेस कार्यसमिति के एक सदस्य मात्र हैं। वैसे यदि राहुल गांधी चाहते तो शायद इस बैठक में अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर शामिल हो सकते थे।
लेकिन लगता है कि सोची समझी रणनीति के तहत राहुल गांधी इन दिनों पार्टी, संसद और अन्य जगहों पर ज़्यादा सक्रिय नज़र नहीं आ रहे हैं। सोनिया गांधी द्वारा बुलाई गई बैठक में राहुल गांधी के शामिल ना होने के सवाल पर राहुल गांधी के क़रीबियों का कहना है कि राहुल गांधी ने पूरी ईमानदारी के साथ कांग्रेस अध्यक्ष पद छोड़ा है। राहुल गांधी ने अध्यक्ष पद दिखावे के लिए नहीं छोड़ा है। राहुल के क़रीबियों का कहना है कि राहुल गांधी ने तय किया है कि जहां पर ज़रूरी होगा वे उसी कार्यक्रम में शामिल होंगे।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कांग्रेस कार्यसमिति कि जिस बैठक में सोनिया गांधी को कांग्रेस का अंतरिम अध्यक्ष चुना गया था, उस बैठक में राहुल गांधी चन्द मिनिटों के लिए ही शामिल हुए थे। इस बैठक में राहुल गांधी का इस्तीफ़ा स्वीकार कर लिया गया था। कहा जा सकता है कि लोकसभा चुनाव में हार के बाद राहुल गांधी आत्ममंथन कर रहे हों, और इसी कारण से वे पार्टी की बैठकों से ख़ुद को दूर रख रहे हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा देने के बाद राहुल गांधी के पास अब दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय में अब ख़ुद का कोई कमरा भी नहीं है, जो कि 12 सालों में पहली बार हुआ है। दरअसल, राहुल गांधी इस समय कांग्रेस संगठन के किसी भी पद पर नहीं हैं। हालांकि, कांग्रेस मुख्यालय में उनकी मां सोनिया गांधी के लिए अंतरिम अध्यक्ष के रूप में और उनकी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा को महासचिव के तौर पर कमरे हैं।
पार्टी और संसद में राहुल गांधी की सक्रियता अचानक ही कम नहीं हुई है। राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद छोड़ते समय ही यह स्पष्ट कर दिया था कि वे पार्टी के फ़ैसलों में सार्वजनिक रूप से कोई भी दखलंदाज़ी करते नज़र नहीं आएंगे। लोकसभा चुनाव में पार्टी के ख़राब प्रदर्शन के बाद इस्तीफ़ा देने पर अड़े राहुल गांधी ने कांग्रेसियों से अपील भी की थी कि गांधी परिवार जुड़े किसी व्यक्ति के अलावा किसी अन्य व्यक्ति को पार्टी का अध्यक्ष बनाया जाए।
जैसा कि आप जानते हैं कि कांग्रेस पार्टी में गांधी परिवार ही सर्वोपरि है। ऐसे में राहुल गांधी की हैसियत कांग्रेस में क्या है, यह लिखने की ज़रूरत नहीं है। लेकिन देखा जा रहा है कि अब कांग्रेसी नेता राहुल गांधी के घर पर जाते हुए नज़र नहीं आते हैं। राजनीति के जानकारों के मुताबिक़, राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा देने के बाद पार्टी की गतिविधियों में ग़ैर ज़रूरी हस्तक्षेप नहीं करना चाहते हैं।
ऐसा इसलिए, क्योंकि ऐसा करने पर उन पर रिमोट से पार्टी चलाने के आरोप लग सकते हैं। लगता है शायद कांग्रेसी नेताओं को इस बात का अहसास हो गया है या फ़िर अहसास करा दिया गया है, इसलिए कांग्रेसी नेता अब पार्टी सम्बन्धित किसी भी काम के लिए सोनिया गांधी के दिल्ली स्थित घर 10, जनपथ जाते हैं ना कि राहुल गांधी से मिलने उसके घर पर।
राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव में हार के बाद नाराज़ और निराश होकर कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दिया है, और इस्तीफ़ा देते समय स्पष्ट भी किया था कि वे पार्टी की गतिविधियों में ग़ैर ज़रूरी हस्तक्षेप नहीं करेंगे। हो सकता है कि इसी रणनीति के तहत राहुल गांधी अभी ज़्यादा सक्रिय नज़र नहीं आ रहे हैं। लेकिन राजनीति के जानकारों का कहना है कि राहुल गांधी इस समय ख़ुद को समय दे रहे हैं और पार्टी और ख़ुद की हार पर चिन्तन कर रहे हैं।
राजनीति में क़दम पीछे लेने का मतलब होता है किसी मौक़े का इंतज़ार करना। हो सकता है कि राहुल गांधी लोकसभा चुनाव में हार के कारणों पर आत्ममंथन कर रहे हों, और भविष्य के लिए किसी रणनीति की योजना बना रहे हों। जानकारों का मानना है कि मोदी सरकार की किसी ग़लती या किसी ग़लत फ़ैसले का इंतज़ार राहुल गांधी कर रहे हैं, जिसके बाद राहुल गांधी एक बार फ़िर से राष्ट्रीय राजनीति में धमाकेदार एंट्री करेंगे। 2024 के लोकसभा चुनाव तक राहुल गांधी के पास काफ़ी वक़्त है आत्ममंथन का। ऐसे में सही समय और मौक़ा देखकर राहुल गांधी एक बार फ़िर से राजनीति में सक्रिय होंगे।
SEP 13 (WTN) – भारत की वर्तमान राजनीति में राहुल गांधी एक ऐसा नाम है, जो हमेशा से चर्चा में रहता है। लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस की ऐतिहासिक हार के बाद राहुल गांधी की नेतृत्व क्षमता पर उनकी पार्टी में ही सवाल उठने लगे थे। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की और अमेठी सीट से ख़ुद की हार से निराश और नाराज़ राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दे दिया था। राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष पद पर बने रहें, इसके लिए उन्हें मनाने के लिए कांग्रेस में काफ़ी लम्बा नाटकीय घटनाक्रम चला। लेकिन राहुल गांधी अपने इस्तीफ़े पर अड़े रहे, और आख़िरकार सोनिया गांधी को कांग्रेस का अंतरिम अध्यक्ष बनाया गया।
नाटकीय घटनाक्रम के बाद आख़िरकार गांधी परिवार के ही व्यक्ति को एक बार फ़िर से कांग्रेस की कमान मिली। लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि लोकसभा चुनाव में हार के बाद काफ़ी समय तक सक्रिय रहे राहुल गांधी अब राजनीति में ज़्यादा सक्रिय नज़र नहीं आते हैं, और ना ही राहुल गांधी कांग्रेस की बैठकों में नज़र आ रहे हैं।
कांग्रेस पार्टी में राहुल गांधी का कितना प्रभाव है यह सभी जानते हैं। हाल ही में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने एक बड़ी बैठक दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय में बुलाई थी। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पिछले कुछ सालों में यह ऐसी पहली बड़ी बैठक थी, जिसमें राहुल गांधी शामिल नहीं हुए।
कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी महासचिवों, राज्य प्रभारियों, विधानमण्डल दल के नेताओं की बैठक बुलाई थी। हालांकि, राहुल गांधी इस समय इनमें से किसी भी पद पर नहीं हैं, इसलिए वो इस बैठक में नहीं आए। कांग्रेस पार्टी में पद के हिसाब से राहुल गांधी अभी कांग्रेस कार्यसमिति के एक सदस्य मात्र हैं। वैसे यदि राहुल गांधी चाहते तो शायद इस बैठक में अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर शामिल हो सकते थे।
लेकिन लगता है कि सोची समझी रणनीति के तहत राहुल गांधी इन दिनों पार्टी, संसद और अन्य जगहों पर ज़्यादा सक्रिय नज़र नहीं आ रहे हैं। सोनिया गांधी द्वारा बुलाई गई बैठक में राहुल गांधी के शामिल ना होने के सवाल पर राहुल गांधी के क़रीबियों का कहना है कि राहुल गांधी ने पूरी ईमानदारी के साथ कांग्रेस अध्यक्ष पद छोड़ा है। राहुल गांधी ने अध्यक्ष पद दिखावे के लिए नहीं छोड़ा है। राहुल के क़रीबियों का कहना है कि राहुल गांधी ने तय किया है कि जहां पर ज़रूरी होगा वे उसी कार्यक्रम में शामिल होंगे।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कांग्रेस कार्यसमिति कि जिस बैठक में सोनिया गांधी को कांग्रेस का अंतरिम अध्यक्ष चुना गया था, उस बैठक में राहुल गांधी चन्द मिनिटों के लिए ही शामिल हुए थे। इस बैठक में राहुल गांधी का इस्तीफ़ा स्वीकार कर लिया गया था। कहा जा सकता है कि लोकसभा चुनाव में हार के बाद राहुल गांधी आत्ममंथन कर रहे हों, और इसी कारण से वे पार्टी की बैठकों से ख़ुद को दूर रख रहे हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा देने के बाद राहुल गांधी के पास अब दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय में अब ख़ुद का कोई कमरा भी नहीं है, जो कि 12 सालों में पहली बार हुआ है। दरअसल, राहुल गांधी इस समय कांग्रेस संगठन के किसी भी पद पर नहीं हैं। हालांकि, कांग्रेस मुख्यालय में उनकी मां सोनिया गांधी के लिए अंतरिम अध्यक्ष के रूप में और उनकी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा को महासचिव के तौर पर कमरे हैं।
पार्टी और संसद में राहुल गांधी की सक्रियता अचानक ही कम नहीं हुई है। राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद छोड़ते समय ही यह स्पष्ट कर दिया था कि वे पार्टी के फ़ैसलों में सार्वजनिक रूप से कोई भी दखलंदाज़ी करते नज़र नहीं आएंगे। लोकसभा चुनाव में पार्टी के ख़राब प्रदर्शन के बाद इस्तीफ़ा देने पर अड़े राहुल गांधी ने कांग्रेसियों से अपील भी की थी कि गांधी परिवार जुड़े किसी व्यक्ति के अलावा किसी अन्य व्यक्ति को पार्टी का अध्यक्ष बनाया जाए।
जैसा कि आप जानते हैं कि कांग्रेस पार्टी में गांधी परिवार ही सर्वोपरि है। ऐसे में राहुल गांधी की हैसियत कांग्रेस में क्या है, यह लिखने की ज़रूरत नहीं है। लेकिन देखा जा रहा है कि अब कांग्रेसी नेता राहुल गांधी के घर पर जाते हुए नज़र नहीं आते हैं। राजनीति के जानकारों के मुताबिक़, राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा देने के बाद पार्टी की गतिविधियों में ग़ैर ज़रूरी हस्तक्षेप नहीं करना चाहते हैं।
ऐसा इसलिए, क्योंकि ऐसा करने पर उन पर रिमोट से पार्टी चलाने के आरोप लग सकते हैं। लगता है शायद कांग्रेसी नेताओं को इस बात का अहसास हो गया है या फ़िर अहसास करा दिया गया है, इसलिए कांग्रेसी नेता अब पार्टी सम्बन्धित किसी भी काम के लिए सोनिया गांधी के दिल्ली स्थित घर 10, जनपथ जाते हैं ना कि राहुल गांधी से मिलने उसके घर पर।
राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव में हार के बाद नाराज़ और निराश होकर कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दिया है, और इस्तीफ़ा देते समय स्पष्ट भी किया था कि वे पार्टी की गतिविधियों में ग़ैर ज़रूरी हस्तक्षेप नहीं करेंगे। हो सकता है कि इसी रणनीति के तहत राहुल गांधी अभी ज़्यादा सक्रिय नज़र नहीं आ रहे हैं। लेकिन राजनीति के जानकारों का कहना है कि राहुल गांधी इस समय ख़ुद को समय दे रहे हैं और पार्टी और ख़ुद की हार पर चिन्तन कर रहे हैं।
राजनीति में क़दम पीछे लेने का मतलब होता है किसी मौक़े का इंतज़ार करना। हो सकता है कि राहुल गांधी लोकसभा चुनाव में हार के कारणों पर आत्ममंथन कर रहे हों, और भविष्य के लिए किसी रणनीति की योजना बना रहे हों। जानकारों का मानना है कि मोदी सरकार की किसी ग़लती या किसी ग़लत फ़ैसले का इंतज़ार राहुल गांधी कर रहे हैं, जिसके बाद राहुल गांधी एक बार फ़िर से राष्ट्रीय राजनीति में धमाकेदार एंट्री करेंगे। 2024 के लोकसभा चुनाव तक राहुल गांधी के पास काफ़ी वक़्त है आत्ममंथन का। ऐसे में सही समय और मौक़ा देखकर राहुल गांधी एक बार फ़िर से राजनीति में सक्रिय होंगे।