कोरोना वायरस के कारण महंगी हो सकती हैं दवाइयां
Thursday - February 13, 2020 4:22 pm ,
Category : WTN HINDI

दवा बनाने के लिए चीन से भारी तादात में आयात होता है कच्चा माल
चीन से कच्चे माल की सप्लाई हुई प्रभावित, दवाइयों की हो सकती है किल्लत
FEB 13 (WTN) – चीन के वुहान शहर से फैला कोरोना वायरस संक्रमण (कोविड-19) अब चीन में एक महामारी बन चुका है। जानकारी के लिए बता दें कि कोरोना वायरस संक्रमण से अभी तक क़रीब 1200 लोगों की मौत हो चुकी है, वहीं क़रीब 45,000 से ज़्यादा लोग कोरोना वायरस संक्रमण से पीड़ित हैं। बता दें कि यह वे आंकड़े हैं जो कि चीन सरकार द्वारा जारी किये गये हैं। लेकिन कहा जा रहा है कि चीन में कोरोना वायरस के कारण मरने वालों और इससे संक्रमित लोगों की संख्या कहीं ज़्यादा हो सकती है। दरअसल, चीन में मीडिया पर पाबंदी और सेंसरशिप के कारण पूरी दुनिया को कोरोना वायरस से सम्बन्धित वहीं सूचनाएं प्राप्त हो रही हैं, जो कि चीन की वामपंथी सरकार मुहैया करा रही है। ऐसा इसलिए, क्योंकि चीन की वामपंथी सरकार कोरोना वायरस संक्रमण के मामले में अपनी ग़लती और लापरवाही पूरी दुनिया और अपने ही देश के लोगों से छिपा रही है।
लेकिन चीन में फैले कोरोना वायरस का असर दुनिया भर के देशों समेत भारत के व्यापार पर पड़ने लगा है। बता दें कि कोरोना वायरस के कारण चीन में उत्पादन बुरी तरह से ठप हो गया है। ऐसे में चीन से दुनिया के अन्य देशों का व्यापार काफ़ी प्रभावित हो गया है। बता दें कि चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, और इसी कारण से चीन के साथ दुनियाभर के देशों के व्यापारिक सम्बन्ध हैं। जहां तक भारत की बात है, तो जानकारी के लिए बता दें कि भारत और चीन के बीच करोड़ों डॉलर का व्यापार होता है। लेकिन चीन में कोरोना वायरस के कारण उत्पादन प्रभावित होने से भारत में वो सामान महंगा होने लगा है, जो कि चीन से आयात किया जाता है।
दरअसल, भारत की दवा कम्पनियां दवा बनाने के लिए कच्चा माल बड़े पैमाने पर चीन से आयात करती हैं। जानकारी के लिए बता दें कि चीन के जिस वुहान शहर से कोरोना वायरस संक्रमण फैला है, उसी वुहान शहर में दवाओं से जुड़ी सबसे ज्यादा कम्पनियां हैं। वुहान शहर स्थित इन्हीं कम्पनियों से दवा बनाने के लिए कच्चा माल भारत समेत दुनिया के अन्य देशों में निर्यात होता है। शायद आपको पता ना हो, तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा दवा निर्माता देश है, और दवा बनाने के लिए ज़रूरी 80 प्रतिशत कच्चा माल भारत चीन से आयात करता है। लेकिन कोरोना वायरस के कारण वुहान समेत अन्य शहरों में फैक्ट्रियां बंद है, ऐसे में दवा बनाने के लिए कच्चे माल की सप्लाई आने वाले दिनों में ठप पड़ सकती है।
जनवरी के महीने में चीन में चीनी नया साल होने के कारण वहां पर छुट्टियां थीं, और इसी कारण से जनवरी के महीने में चीन से कच्चे माल की सप्लाई कम हुई थी। वहीं इसके बाद कोरोना वायरस के ख़तरे के कारण चीन ने कच्चे माल के निर्यात पर रोक लगा दी थी। लेकिन कच्चे माल की सप्लाई के लिए जो कंटनेर चीन से भारत के लिए निकल चुके थे, ऐसे कंटेनर बंदरगाहों पर फंसे हुए हैं। अब जबकि चीन से कच्चे माल की सप्लाई प्रभावित हो रही है, तो कम्पनियों को अन्य देशों से कच्चा माल महंगा ख़रीदना पड़ेगा। कहा जा रहा है कि चीन से कच्चे माल की सप्लाई प्रभावित होने से डायबिटीज और ब्लड प्रेशर के इलाज में काम आने वाली दवाओं के दाम बढ़ सकते हैं।
दवा कम्पनियों के लिए चीन से कच्चे माल की सप्लाई ठप होने की आशंका के चलते मोदी सरकार की कोशिश है कि दवाओं की क़ीमतों में किसी भी तरह की वृद्धि नहीं ना हो। दवा की क़ीमतों पर किस तरह से नियंत्रण रखा जाए, इसके लिए सरकार ने एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया था। बता दें कि इस कमेटी में तकनीकी विभागों के विशेषज्ञों को भी शामिल किया गया था। इस कमेटी ने मोदी सरकार को जो रिपोर्ट सौंपी है, उस रिपोर्ट के मुताबिक़ अगले एक महीने में अगर चीन से दवाओं के लिए कच्चे माल की सप्लाई नहीं होती है, तो इससे देश में गम्भीर हालात पैदा हो सकते हैं। ऐसे में दवा कम्पनियों को अन्य देशों से महंगे दामों पर दवा बनाने वाला कच्चा माल ख़रीदना होगा, और इसके परिणामस्वरूप देश में दवाइयों के दाम काफ़ी बढ़ सकते हैं।
FEB 13 (WTN) – चीन के वुहान शहर से फैला कोरोना वायरस संक्रमण (कोविड-19) अब चीन में एक महामारी बन चुका है। जानकारी के लिए बता दें कि कोरोना वायरस संक्रमण से अभी तक क़रीब 1200 लोगों की मौत हो चुकी है, वहीं क़रीब 45,000 से ज़्यादा लोग कोरोना वायरस संक्रमण से पीड़ित हैं। बता दें कि यह वे आंकड़े हैं जो कि चीन सरकार द्वारा जारी किये गये हैं। लेकिन कहा जा रहा है कि चीन में कोरोना वायरस के कारण मरने वालों और इससे संक्रमित लोगों की संख्या कहीं ज़्यादा हो सकती है। दरअसल, चीन में मीडिया पर पाबंदी और सेंसरशिप के कारण पूरी दुनिया को कोरोना वायरस से सम्बन्धित वहीं सूचनाएं प्राप्त हो रही हैं, जो कि चीन की वामपंथी सरकार मुहैया करा रही है। ऐसा इसलिए, क्योंकि चीन की वामपंथी सरकार कोरोना वायरस संक्रमण के मामले में अपनी ग़लती और लापरवाही पूरी दुनिया और अपने ही देश के लोगों से छिपा रही है।
लेकिन चीन में फैले कोरोना वायरस का असर दुनिया भर के देशों समेत भारत के व्यापार पर पड़ने लगा है। बता दें कि कोरोना वायरस के कारण चीन में उत्पादन बुरी तरह से ठप हो गया है। ऐसे में चीन से दुनिया के अन्य देशों का व्यापार काफ़ी प्रभावित हो गया है। बता दें कि चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, और इसी कारण से चीन के साथ दुनियाभर के देशों के व्यापारिक सम्बन्ध हैं। जहां तक भारत की बात है, तो जानकारी के लिए बता दें कि भारत और चीन के बीच करोड़ों डॉलर का व्यापार होता है। लेकिन चीन में कोरोना वायरस के कारण उत्पादन प्रभावित होने से भारत में वो सामान महंगा होने लगा है, जो कि चीन से आयात किया जाता है।
दरअसल, भारत की दवा कम्पनियां दवा बनाने के लिए कच्चा माल बड़े पैमाने पर चीन से आयात करती हैं। जानकारी के लिए बता दें कि चीन के जिस वुहान शहर से कोरोना वायरस संक्रमण फैला है, उसी वुहान शहर में दवाओं से जुड़ी सबसे ज्यादा कम्पनियां हैं। वुहान शहर स्थित इन्हीं कम्पनियों से दवा बनाने के लिए कच्चा माल भारत समेत दुनिया के अन्य देशों में निर्यात होता है। शायद आपको पता ना हो, तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा दवा निर्माता देश है, और दवा बनाने के लिए ज़रूरी 80 प्रतिशत कच्चा माल भारत चीन से आयात करता है। लेकिन कोरोना वायरस के कारण वुहान समेत अन्य शहरों में फैक्ट्रियां बंद है, ऐसे में दवा बनाने के लिए कच्चे माल की सप्लाई आने वाले दिनों में ठप पड़ सकती है।
जनवरी के महीने में चीन में चीनी नया साल होने के कारण वहां पर छुट्टियां थीं, और इसी कारण से जनवरी के महीने में चीन से कच्चे माल की सप्लाई कम हुई थी। वहीं इसके बाद कोरोना वायरस के ख़तरे के कारण चीन ने कच्चे माल के निर्यात पर रोक लगा दी थी। लेकिन कच्चे माल की सप्लाई के लिए जो कंटनेर चीन से भारत के लिए निकल चुके थे, ऐसे कंटेनर बंदरगाहों पर फंसे हुए हैं। अब जबकि चीन से कच्चे माल की सप्लाई प्रभावित हो रही है, तो कम्पनियों को अन्य देशों से कच्चा माल महंगा ख़रीदना पड़ेगा। कहा जा रहा है कि चीन से कच्चे माल की सप्लाई प्रभावित होने से डायबिटीज और ब्लड प्रेशर के इलाज में काम आने वाली दवाओं के दाम बढ़ सकते हैं।
दवा कम्पनियों के लिए चीन से कच्चे माल की सप्लाई ठप होने की आशंका के चलते मोदी सरकार की कोशिश है कि दवाओं की क़ीमतों में किसी भी तरह की वृद्धि नहीं ना हो। दवा की क़ीमतों पर किस तरह से नियंत्रण रखा जाए, इसके लिए सरकार ने एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया था। बता दें कि इस कमेटी में तकनीकी विभागों के विशेषज्ञों को भी शामिल किया गया था। इस कमेटी ने मोदी सरकार को जो रिपोर्ट सौंपी है, उस रिपोर्ट के मुताबिक़ अगले एक महीने में अगर चीन से दवाओं के लिए कच्चे माल की सप्लाई नहीं होती है, तो इससे देश में गम्भीर हालात पैदा हो सकते हैं। ऐसे में दवा कम्पनियों को अन्य देशों से महंगे दामों पर दवा बनाने वाला कच्चा माल ख़रीदना होगा, और इसके परिणामस्वरूप देश में दवाइयों के दाम काफ़ी बढ़ सकते हैं।