वाहनों की बिक्री में ऐतिहासिक ‘गिरावट’ के कारण ऑटो इंडस्ट्री में बढ़ी बेरोज़गारी
Monday - August 5, 2019 1:15 pm ,
Category : WTN HINDI

ऑटो सेक्टर में मंदी के कारण फैली ‘निराशा’
सालों बाद ऑटो इंडस्ट्री कर रही भयंकर ‘मंदी’ का सामना; पिछले 3 महीने में हज़ारों लोग हुए ‘बेरोज़गार’
AUG 05 (WTN) – विश्व की 7वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश भारत में इस समय ऑटोमोबाइल सेक्टर अपने सबसे ख़राब दौर से गुजर रहा है। गाड़ियों की बिक्री में ऐतिहासिक गिरावट के बाद अब इस सेक्टर में हज़ारों लोगों बेरोज़गार होते जा रहे हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पिछले तीन महीने में ही ऑटो इंडस्ट्री से क़रीब 2 लाख लोगों को नौकरी से निकाला गया है। वहीं आशंका जाहिर की जा रही है कि यदि गाड़ियों की बिक्री में इज़ाफ़ा नहीं हुआ तो आने वाले दिनों में बड़ी तादात में ऑटो सेक्टर और उससे जुड़े उद्योगों में बेरोज़गारी बढ़ेगी।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ऑटो सेक्टर की नौकरियों में छंटनी का दौर मई के महीने में शुरू हुआ था जो कि जून और जुलाई के महीने में भी जारी रहा। अभी तक फ़िलहाल ऑटो सेक्टर से ज़्यादातर नौकरियों की कटौती सेल्स सेक्टर से हुई है। पर कहा जा रहा है कि यदि गाड़ियों की बिक्री में गिरावट का दौर जारी रहा तो आने वाले दिनों में सेल्स के साथ-साथ ऑटो सेक्टर से जुड़ी अन्य फील्ड से भी काफ़ी बड़ी तादात में लोग बेरोज़गार हो सकते हैं।
देश में इस समय क़रीब 15 हज़ार डीलर्स के 26 हज़ार ऑटोमोबाइल शोरूम पूरे देश में हैं, जिसके जरिये प्रत्यक्ष रूप से क़रीब 25 लाख लोगों को रोज़गार मिला हुआ है। वहीं इन शोरूम से 25 लाख लोग अप्रत्यक्ष रूप से रोज़गार से जुड़े हुए हैं। यानी कि कहा जा सकता है कि देश में मौजूद ऑटोमोबाइल शोरूम से ही देश में क़रीब 50 लाख लोगों को रोज़गार मिला हुआ है। लेकिन वाहनों की बिक्री में गिरावट के कारण धीरे-धीरे देश में कई ऑटोमोबाइल शोरूम बंद हो रहे हैं। पिछले वित्तीय वर्ष में देश के 271 शहरों से 286 शोरूम किसी ना किसी कारण से बंद हो गये, जिसके कारण क़रीब 32,000 लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है।
आंकड़ों की माने तो इस साल अप्रैल से जून की तिमाही में सभी सेगमेंट में वाहनों की बिक्री में 12.35 प्रतिशत की गिरावट आई है, और इस दौरान सिर्फ़ 60,85,406 वाहन बिके हैं। वहीं एक साल पहले इसी अवधि में 69,42,742 वाहन बिके थे। कारों की बात करें तो जुलाई के महीने में कारों की बिक्री में क़रीब 30 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। आंकड़ों के मुताबिक़ जून 2019 की तिमाही में यात्री वाहनों की बिक्री में 18.4 प्रतिशत की गिरावट देखी गई हैं। वहीं कॉमर्शियल वाहनों के सेगमेंट में भी 16.6 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।
इस दौरान दोपहिया वाहनों की बिक्री में 11.7 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है। वाहनों की बिक्री में गिरावट का यह आलम है कि जून 2019 की तिमाही ऑटो इंडस्ट्री के लिए 18 सालों की सबसे ख़राब तिमाही साबित हुई है। कारों और दोपहिया वाहनों के अलावा खेती किसानी से जुड़े टैक्ट्ररों की बिक्री में भी काफ़ी गिरावट दर्ज की गई है।
वैसे वाहनों की बिक्री में गिरावट के कई कारण हैं। ऑटो इंडस्ट्री से जुड़े जानकारों के मुताबिक़ अर्थव्यवस्था में सुस्ती, लोन मिलने में परेशानी, ग्रामीण इलाकों में मांग में वृद्धि ना होना और पुराने वाहनों की ख़रीदी में लोगों की दिलचस्पी बढ़ने के कारण वाहनों की बिक्री में कमी देखी जा रही है। इसके अलावा जीएसटी रेट में कमी की उम्मीद, और अगले साल BS-IV से BS-VI मानक की ओर जाने के बाद वाहनों के मूल्य में कमी आने की उम्मीद के कारण लोग वाहनों की ख़रीदी नहीं कर रहे हैं।
दरअसल, वाहनों की बिक्री में गिरावट के कई कारणों में एक महत्वपूर्ण कारण है लम्बे समय तक गाड़ियों की बिक्री के बाद आने वाला एक ठहराव। यह अर्थशास्त्र का सिद्धांत है कि किसी वस्तु की लगातार बिक्री होने के बाद एक समय के बाद उसकी बिक्री में ठहराव देखा जाता है, क्योंकि वह वस्तु अब ज़्यादातर लोगों के पास उपलब्ध हो चुकी होती है। ऑटो सेक्टर पर बारीक़ी से नज़र रखने वाले जानकारों का मानना है कि एक लम्बे ठहराव के बाद गाड़ियों की बिक्री में फ़िर से तेज़ी आएगी, लेकिन तब तक काफ़ी लोग बेरोज़गार हो चुके होंगे। पर एक बार फ़िर से जब गाड़ियों की बिक्री में तेज़ी आएगी, ऑटो सेक्टर में फ़िर से रोज़गार के साधन बढ़ेंगे।
AUG 05 (WTN) – विश्व की 7वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश भारत में इस समय ऑटोमोबाइल सेक्टर अपने सबसे ख़राब दौर से गुजर रहा है। गाड़ियों की बिक्री में ऐतिहासिक गिरावट के बाद अब इस सेक्टर में हज़ारों लोगों बेरोज़गार होते जा रहे हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पिछले तीन महीने में ही ऑटो इंडस्ट्री से क़रीब 2 लाख लोगों को नौकरी से निकाला गया है। वहीं आशंका जाहिर की जा रही है कि यदि गाड़ियों की बिक्री में इज़ाफ़ा नहीं हुआ तो आने वाले दिनों में बड़ी तादात में ऑटो सेक्टर और उससे जुड़े उद्योगों में बेरोज़गारी बढ़ेगी।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ऑटो सेक्टर की नौकरियों में छंटनी का दौर मई के महीने में शुरू हुआ था जो कि जून और जुलाई के महीने में भी जारी रहा। अभी तक फ़िलहाल ऑटो सेक्टर से ज़्यादातर नौकरियों की कटौती सेल्स सेक्टर से हुई है। पर कहा जा रहा है कि यदि गाड़ियों की बिक्री में गिरावट का दौर जारी रहा तो आने वाले दिनों में सेल्स के साथ-साथ ऑटो सेक्टर से जुड़ी अन्य फील्ड से भी काफ़ी बड़ी तादात में लोग बेरोज़गार हो सकते हैं।
देश में इस समय क़रीब 15 हज़ार डीलर्स के 26 हज़ार ऑटोमोबाइल शोरूम पूरे देश में हैं, जिसके जरिये प्रत्यक्ष रूप से क़रीब 25 लाख लोगों को रोज़गार मिला हुआ है। वहीं इन शोरूम से 25 लाख लोग अप्रत्यक्ष रूप से रोज़गार से जुड़े हुए हैं। यानी कि कहा जा सकता है कि देश में मौजूद ऑटोमोबाइल शोरूम से ही देश में क़रीब 50 लाख लोगों को रोज़गार मिला हुआ है। लेकिन वाहनों की बिक्री में गिरावट के कारण धीरे-धीरे देश में कई ऑटोमोबाइल शोरूम बंद हो रहे हैं। पिछले वित्तीय वर्ष में देश के 271 शहरों से 286 शोरूम किसी ना किसी कारण से बंद हो गये, जिसके कारण क़रीब 32,000 लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है।
आंकड़ों की माने तो इस साल अप्रैल से जून की तिमाही में सभी सेगमेंट में वाहनों की बिक्री में 12.35 प्रतिशत की गिरावट आई है, और इस दौरान सिर्फ़ 60,85,406 वाहन बिके हैं। वहीं एक साल पहले इसी अवधि में 69,42,742 वाहन बिके थे। कारों की बात करें तो जुलाई के महीने में कारों की बिक्री में क़रीब 30 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। आंकड़ों के मुताबिक़ जून 2019 की तिमाही में यात्री वाहनों की बिक्री में 18.4 प्रतिशत की गिरावट देखी गई हैं। वहीं कॉमर्शियल वाहनों के सेगमेंट में भी 16.6 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।
इस दौरान दोपहिया वाहनों की बिक्री में 11.7 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है। वाहनों की बिक्री में गिरावट का यह आलम है कि जून 2019 की तिमाही ऑटो इंडस्ट्री के लिए 18 सालों की सबसे ख़राब तिमाही साबित हुई है। कारों और दोपहिया वाहनों के अलावा खेती किसानी से जुड़े टैक्ट्ररों की बिक्री में भी काफ़ी गिरावट दर्ज की गई है।
वैसे वाहनों की बिक्री में गिरावट के कई कारण हैं। ऑटो इंडस्ट्री से जुड़े जानकारों के मुताबिक़ अर्थव्यवस्था में सुस्ती, लोन मिलने में परेशानी, ग्रामीण इलाकों में मांग में वृद्धि ना होना और पुराने वाहनों की ख़रीदी में लोगों की दिलचस्पी बढ़ने के कारण वाहनों की बिक्री में कमी देखी जा रही है। इसके अलावा जीएसटी रेट में कमी की उम्मीद, और अगले साल BS-IV से BS-VI मानक की ओर जाने के बाद वाहनों के मूल्य में कमी आने की उम्मीद के कारण लोग वाहनों की ख़रीदी नहीं कर रहे हैं।
दरअसल, वाहनों की बिक्री में गिरावट के कई कारणों में एक महत्वपूर्ण कारण है लम्बे समय तक गाड़ियों की बिक्री के बाद आने वाला एक ठहराव। यह अर्थशास्त्र का सिद्धांत है कि किसी वस्तु की लगातार बिक्री होने के बाद एक समय के बाद उसकी बिक्री में ठहराव देखा जाता है, क्योंकि वह वस्तु अब ज़्यादातर लोगों के पास उपलब्ध हो चुकी होती है। ऑटो सेक्टर पर बारीक़ी से नज़र रखने वाले जानकारों का मानना है कि एक लम्बे ठहराव के बाद गाड़ियों की बिक्री में फ़िर से तेज़ी आएगी, लेकिन तब तक काफ़ी लोग बेरोज़गार हो चुके होंगे। पर एक बार फ़िर से जब गाड़ियों की बिक्री में तेज़ी आएगी, ऑटो सेक्टर में फ़िर से रोज़गार के साधन बढ़ेंगे।