जानिए क्या होती है ज़ेड प्लस, ज़ेड, वाई और एक्स श्रेणी की सुरक्षा?
Monday - August 26, 2019 3:15 pm ,
Category : WTN HINDI

वीआईपी शख़्सियतों को मिलती है सरकार की ओर से सुरक्षा
खूफिया सूचना के आधार पर तय होती है वीआईपी शख़्सियतों की सुरक्षा श्रेणी
AUG 26 (WTN) – आतंकी और नक्सली हमले से जान के ख़तरे को देखते हुए भारत में कुछ विशेष लोगों को सरकार से सुरक्षा हासिल होती है। आतंकियों और नक्सलियों से वीआईपी लोगों को सम्भावित ख़तरे को देखते हुए सरकार की ओर से इन्हें अलग-अलग स्तर पर सुरक्षा मुहैया कराई जाती है। ख़तरे को देखते हुए किसी व्यक्ति को कितनी सुरक्षा प्रदान की जानी है, इसका फ़ैसला सरकार द्वारा लिया जाता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि खुफिया विभागों द्वारा दी गई सूचना के आधार पर वीआईपी व्यक्तियों को अलग-अलग श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की जाती है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भारत के राष्ट्रपति की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी भारतीय सेना की होती है। वहीं भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री, पूर्व प्रधानमंत्रियों और उनके परिजनों की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी एसपीजी के पास रहती है। वहीं इनके अलावा अन्य वीआईपी लोगों को सुरक्षा खूफिया सूचना के आधार पर प्रदान की जाती है कि उन्हें आतंकियों और नक्सलियों से कितना ख़तरा है। वीआईपी सुरक्षा को चार स्तर में बांटा गया है। इसमें सबसे पहले आती है ज़ेड प्लस (Z+) सुरक्षा, जिसे एसपीजी के बाद उच्चतम स्तर की सुरक्षा माना जाता है। इसके बाद ज़ेड (Z), वाई (Y) और एक्स (X) श्रेणी की सुरक्षा।
जहां तक एसपीजी सुरक्षा की बात है तो यह देश में सबसे ऊंचे स्तर की सुरक्षा है। यह सुरक्षा वर्तमान प्रधानमंत्री, पूर्व प्रधानमंत्रियों और उनके परिवार के सदस्यों को दी जाती है। एसपीजी का पूरा नाम Special Protection Group है। एसपीजी का गठन 2 जून, 1988 में भारत की संसद के एक अधिनियम द्वारा बनाया गया था। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है और यह केन्द्र के विशेष सुरक्षाबलों में से एक है। एसपीजी के जवानों का चयन पुलिस और पैरामिलिट्री फोर्स से किया जाता है। एसपीजी गृह मंत्रालय के अधीन है और यह बल देश के सबसे पेशेवर एवं आधुनिकतम सुरक्षा बलों में से एक है।
एसपीजी के जवान हथियारों से लैस होते हैं। प्रधानमंत्री की सुरक्षा में तैनात एसपीजी कमाण्डो अपनी सुरक्षा के लिए एक लाइट वेट बुलेटप्रूफ जैकेट भी पहनते हैं। आपने देखा होगा कि एसपीजी के जवान अपनी आंखों पर एक विशेष चश्मा पहने रहते हैं। यह चश्मा इन्हें आखों पर होने वाले किसी भी हमले से बचाता है। एसपीजी की सुरक्षा तीन स्तर की पर होती है। किसी भी हमले की स्थिति में पहला स्तर हमले को झेलता है, दूसरा स्तर हमला होने की स्थिति में प्रधानमंत्री या उनके परिजनों को सुरक्षित स्थान पर ले जाता है तो वहीं तीसरा स्तर काउंटर अटैक करता है।
दरअसल, प्रधानमंत्री की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी पहले दिल्ली पुलिस के विशेष दल की होती थी। लेकिन अक्टूबर 1984 में प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी की हत्या के बाद समीक्षा की गई कि देश के प्रधानमंत्री को एक विशेष समूह के अधीन सुरक्षा दी जाए। इसके बाद 18 फरवरी 1985 को गृह मंत्रालय ने बीरबल नाथ समिति की स्थापना की और मार्च 1985 में बीरबल नाथ समिति ने एक स्पेशल प्रोटेक्शन यूनिट (SPU) के गठन के लिए सिफारिश को प्रस्तुत किया। सिफारिशों के बाद ही देश में SPG अस्तित्व में आया।
आइये अब आपको बताते हैं कि Z+ सुरक्षा क्या होती है। एसपीजी सुरक्षा के बाद ज़ेड प्लस श्रेणी की सुरक्षा देश की दूसरे नम्बर की सबसे कड़ी सुरक्षा व्यवस्था है। इस सुरक्षा व्यवस्था में 55 सुरक्षाकर्मी सुरक्षा के लिए मौजूद होते हैं। इन 55 सुरक्षाकर्मियों में 10 से ज़्यादा एनएसजी कमाण्डो होते हैं। इस सुरक्षा व्यवस्था में पुलिस अधिकारी भी शामिल रहते हैं। Z+ सुरक्षा में पहले घेरे की ज़िम्मेदारी एनएसजी कमाण्डोज़ की होती है, जबकि दूसरे घेरे की ज़िम्मेदारी एसपीजी कमाण्डो की होती है। इसके अलावा आईटीबीपी और सीआरपीएफ के जवान भी ज़ेड प्लस सुरक्षा श्रेणी में शामिल रहते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि Z+ सुरक्षा में एस्कॉर्ट्स और पायलट वाहन भी होते हैं।
ज़ेड प्लस के बाद आती है ज़ेड श्रेणी की सुरक्षा। इसमें चार से पांच एनएसजी कमाण्डो समेत कुल 22 सुरक्षागार्ड तैनात रहते हैं। इसमें दिल्ली पुलिस, आईटीबीपी या सीआरपीएफ के कमाण्डो और सम्बन्धित राज्य के स्थानीय पुलिसकर्मी भी शामिल होते हैं।
वाई श्रेणी की सुरक्षा तीसरे स्तर की सुरक्षा होती है। इस सुरक्षा में एनएसजी के दो कमाण्डो समेत 11 सुरक्षाकर्मी शामिल होते हैं। वहीं एक्स श्रेणी की सुरक्षा में दो सुरक्षाकर्मी तैनात रहते है। जिसमें एक PSO (Personal Security Officer) शामिल होता है। एक्स श्रेणी की सुरक्षा में कोई भी कमाण्डो शामिल नहीं होता है।
AUG 26 (WTN) – आतंकी और नक्सली हमले से जान के ख़तरे को देखते हुए भारत में कुछ विशेष लोगों को सरकार से सुरक्षा हासिल होती है। आतंकियों और नक्सलियों से वीआईपी लोगों को सम्भावित ख़तरे को देखते हुए सरकार की ओर से इन्हें अलग-अलग स्तर पर सुरक्षा मुहैया कराई जाती है। ख़तरे को देखते हुए किसी व्यक्ति को कितनी सुरक्षा प्रदान की जानी है, इसका फ़ैसला सरकार द्वारा लिया जाता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि खुफिया विभागों द्वारा दी गई सूचना के आधार पर वीआईपी व्यक्तियों को अलग-अलग श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की जाती है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भारत के राष्ट्रपति की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी भारतीय सेना की होती है। वहीं भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री, पूर्व प्रधानमंत्रियों और उनके परिजनों की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी एसपीजी के पास रहती है। वहीं इनके अलावा अन्य वीआईपी लोगों को सुरक्षा खूफिया सूचना के आधार पर प्रदान की जाती है कि उन्हें आतंकियों और नक्सलियों से कितना ख़तरा है। वीआईपी सुरक्षा को चार स्तर में बांटा गया है। इसमें सबसे पहले आती है ज़ेड प्लस (Z+) सुरक्षा, जिसे एसपीजी के बाद उच्चतम स्तर की सुरक्षा माना जाता है। इसके बाद ज़ेड (Z), वाई (Y) और एक्स (X) श्रेणी की सुरक्षा।
जहां तक एसपीजी सुरक्षा की बात है तो यह देश में सबसे ऊंचे स्तर की सुरक्षा है। यह सुरक्षा वर्तमान प्रधानमंत्री, पूर्व प्रधानमंत्रियों और उनके परिवार के सदस्यों को दी जाती है। एसपीजी का पूरा नाम Special Protection Group है। एसपीजी का गठन 2 जून, 1988 में भारत की संसद के एक अधिनियम द्वारा बनाया गया था। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है और यह केन्द्र के विशेष सुरक्षाबलों में से एक है। एसपीजी के जवानों का चयन पुलिस और पैरामिलिट्री फोर्स से किया जाता है। एसपीजी गृह मंत्रालय के अधीन है और यह बल देश के सबसे पेशेवर एवं आधुनिकतम सुरक्षा बलों में से एक है।
एसपीजी के जवान हथियारों से लैस होते हैं। प्रधानमंत्री की सुरक्षा में तैनात एसपीजी कमाण्डो अपनी सुरक्षा के लिए एक लाइट वेट बुलेटप्रूफ जैकेट भी पहनते हैं। आपने देखा होगा कि एसपीजी के जवान अपनी आंखों पर एक विशेष चश्मा पहने रहते हैं। यह चश्मा इन्हें आखों पर होने वाले किसी भी हमले से बचाता है। एसपीजी की सुरक्षा तीन स्तर की पर होती है। किसी भी हमले की स्थिति में पहला स्तर हमले को झेलता है, दूसरा स्तर हमला होने की स्थिति में प्रधानमंत्री या उनके परिजनों को सुरक्षित स्थान पर ले जाता है तो वहीं तीसरा स्तर काउंटर अटैक करता है।
दरअसल, प्रधानमंत्री की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी पहले दिल्ली पुलिस के विशेष दल की होती थी। लेकिन अक्टूबर 1984 में प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी की हत्या के बाद समीक्षा की गई कि देश के प्रधानमंत्री को एक विशेष समूह के अधीन सुरक्षा दी जाए। इसके बाद 18 फरवरी 1985 को गृह मंत्रालय ने बीरबल नाथ समिति की स्थापना की और मार्च 1985 में बीरबल नाथ समिति ने एक स्पेशल प्रोटेक्शन यूनिट (SPU) के गठन के लिए सिफारिश को प्रस्तुत किया। सिफारिशों के बाद ही देश में SPG अस्तित्व में आया।
आइये अब आपको बताते हैं कि Z+ सुरक्षा क्या होती है। एसपीजी सुरक्षा के बाद ज़ेड प्लस श्रेणी की सुरक्षा देश की दूसरे नम्बर की सबसे कड़ी सुरक्षा व्यवस्था है। इस सुरक्षा व्यवस्था में 55 सुरक्षाकर्मी सुरक्षा के लिए मौजूद होते हैं। इन 55 सुरक्षाकर्मियों में 10 से ज़्यादा एनएसजी कमाण्डो होते हैं। इस सुरक्षा व्यवस्था में पुलिस अधिकारी भी शामिल रहते हैं। Z+ सुरक्षा में पहले घेरे की ज़िम्मेदारी एनएसजी कमाण्डोज़ की होती है, जबकि दूसरे घेरे की ज़िम्मेदारी एसपीजी कमाण्डो की होती है। इसके अलावा आईटीबीपी और सीआरपीएफ के जवान भी ज़ेड प्लस सुरक्षा श्रेणी में शामिल रहते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि Z+ सुरक्षा में एस्कॉर्ट्स और पायलट वाहन भी होते हैं।
ज़ेड प्लस के बाद आती है ज़ेड श्रेणी की सुरक्षा। इसमें चार से पांच एनएसजी कमाण्डो समेत कुल 22 सुरक्षागार्ड तैनात रहते हैं। इसमें दिल्ली पुलिस, आईटीबीपी या सीआरपीएफ के कमाण्डो और सम्बन्धित राज्य के स्थानीय पुलिसकर्मी भी शामिल होते हैं।
वाई श्रेणी की सुरक्षा तीसरे स्तर की सुरक्षा होती है। इस सुरक्षा में एनएसजी के दो कमाण्डो समेत 11 सुरक्षाकर्मी शामिल होते हैं। वहीं एक्स श्रेणी की सुरक्षा में दो सुरक्षाकर्मी तैनात रहते है। जिसमें एक PSO (Personal Security Officer) शामिल होता है। एक्स श्रेणी की सुरक्षा में कोई भी कमाण्डो शामिल नहीं होता है।