चीन को कहीं भारी न पड़ जाए साउथ चाइना सी में 'दादागिरी' दिखाना
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कभी भी हो सकता है साउथ चाइना सी में चीन और अमेरिका के बीच युद्ध!
AUG 28 (WTN) - देखते ही देखते साउथ चाइना सी युद्ध का मैदान बन चुका है, और कभी भी इस इलाक़े से युद्ध शुरू हो सकता है। दरअसल, विश्व के सबसे व्यस्ततम व्यापार मार्गों में से एक साउथ चाइना सी, चीन की दादागिरी और इस इलाक़े में उसके द्वारा किए जा रहे अतिक्रमण के कारण तीसरे विश्व युद्ध का जंग का मैदान बन सकता है।
दरअसल, साउथ चाइना सी सामरिक और आर्थिक रूप से काफी महत्वपूर्ण है। और इसी कारण से चीन, साउथ चाइना सी के 85 प्रतिशत क्षेत्र पर अपना अधिकार जताता है। लेकिन, चीन के इस दावे को कई देश खारीज़ कर चुके हैं, और वियतनाम और ताइवान जैसे देश तो खुलकर चीन को चेतावनी भी दे चुके हैं। इस कड़ी में ताइवान और वियतनाम के बाद अब फिलीपीन्स ने भी चीन को साउथ चाइना सी में दादागिरी करने से रोकने के लिए बाकायदा धमकी और चेतावनी दे डाली है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि फिलीपीन्स के विदेश मंत्री ने चीन को चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि चीन ने साउथ चाइना सी में उसके नौसैनिक जहाजों पर हमला किया, तो वह (फिलीपीन्स) अमेरिकी सेना को बुला लेगा, और अमेरिका के साथ अपने रक्षा समझौते को लागू कर देगा। हालांकि, इससे पहले फिलीपीन्स के राष्ट्रपति रोड्रिगो डुटेर्टे के प्रशासन ने कहा था कि उनकी सरकार अमेरिका से मदद नहीं मांगेगी।
वहीं, फिलीपीन्स, चीन से बिना डरे अपनी रक्षा के लिए ज़रूरी क़दम उठा रहा है, और चीन की चेतावनी के बाद भी फिलीपीन्स ने फैसला लिया है कि उसकी वायुसेना आगे भी साउथ चाइना सी के ऊपर गश्त लगाती रहेगी। लेकिन, चीन ने फिलीपीन्स के इस बयान को उकसावे वाली कार्रवाई बताया है। इधर, फिलीपीन्स का साफ कहना है कि साउथ चाइना सी के मुद्दे पर चीन पहले ही अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में हार चुका है, और यदि चीन उसके (फिलीपीन्स) जहाजों पर हमला करता है, तो हम (फिलीपीन्स) अमेरिकी सेना को बुला लेंगे।
वहीं इधर, चीन ने साउथ चाइना सी में हेनान द्वीप और पार्सल द्वीपसमूह के पास अपनी शक्ति का प्रदर्शन करते हुए मध्यम दूरी तक मार करने वाली चार बैलिस्टिक मिसाइलों का परीक्षण किया है। इतना ही नहीं, अमेरिकी टोही विमानों की निगरानी के बीच चीन ने विवादित क्षेत्र में नौसैनिक अभ्यास के तहत पहली बार साउथ चाइना सी में अपनी विमानवाहक पोत रोधी मिसाइलें DF-26B और DF-21 दागी हैं, और वो भी तब जबकि इसके एक दिन पहले ही अमेरिका का U-2 जासूसी विमान चीन के उत्तरी तटीय क्षेत्र में बोहाई सागर में उसके नौसैनिक अभ्यास के दौरान उड़ान-निषिद्ध क्षेत्र में घुस गया था।
रक्षा क्षेत्र के जानकारों के अनुसार, DF-26B दोहरी क्षमता वाली मिसाइल है, लेकिन यह मिसाइल 'इंटरमीडियेटरी-रेंज न्यूक्लियर फोर्सेस संधि के तहत प्रतिबंधित है। जानकारी के लिए बता दें कि इस संधि पर अमेरिका और पूर्ववर्ती सोवियत संघ ने शीत युद्ध की समाप्ति के बाद हस्तक्षेप किए थे। लेकिन, पिछले साल अमेरिका ने इस संधि से ख़ुद को हटा लिया था, और इसके पीछे यह तर्क दिया था कि चीन द्वारा ऐसे हथियारों की तैनाती की जा रही है।
वहीं, DF-21 की मारक क्षमता क़रीब 1,800 किलोमीटर तक प्रहार करने की है,और इसे “कैरियर किलर” भी कहा जाता है। माना जाता है कि चीन ने DF-21 को इसलिए विकसित किया है जिससे अमेरिकी एयरक्राफ्ट कैरियर को निशाना बनाया जा सके। दरअसल, अमेरिका से संभावित सैन्य संघर्ष के मद्देनज़र चीन ने मिसाइलों, लड़ाकू विमानों, परमाणु पनडुब्बियों और अन्य हथियारों को विकसित करने की दिशा में काफी काम करने के साथ-साथ काफी निवेश भी किया है। अब जबकि ट्रम्प प्रशासन ने साउथ चाइना सी के विवादित क्षेत्र के ज़्यादातर हिस्से पर चीन की संप्रभुता के दावों को खारिज़ कर दिया है, तो ऐसे में अब देखना होगा कि चीन और अमेरिका के बीच सैन्य संघर्ष कब तक बचा रह पाता है?