कोरोना संकट में देश की अर्थव्यवस्था को बचा ले गया कृषि सेक्टर
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ग्रामीण मांग से देश की अर्थव्यवस्था को मिला बड़ा सहारा
AUG 29 (WTN) - कोरोना वायरस संकट के कारण देश की अर्थव्यवस्था को कितना ज़्यादा नुकसान हुआ है यह तो आप जानते ही हैं। दरअसल, कोरोना वायरस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के कारण पूरे देश में आर्थिक गतिविधियां ठप पड़ गई थीं, जिसके कारण बेरोज़गारी बड़ी। अब जबकि इंडस्ट्री और सर्विस सेक्टर में काम बंद रहा, तो इससे व्यापारियों के व्यापार पर असर पड़ा और लोगों की नौकरियां छिन गई। इन्हीं कारणों से बाज़ार में मांग कम होने से व्यापारिक गतिविधियों पर तो नकारात्मक असर पड़ा ही, साथ ही सरकार का GST कलेक्शन भी कम हो गया।
साफ है कि कोरोना संकट और लॉकडाउन के कारण अर्थव्यवस्था के दूसरे और तीसरे सेक्टर्स ने काफी निराशाजनक प्रदर्शन किया, और लॉकडाउन के दौरान उत्खनन, उत्पादन, विमानन, पर्यटन, होटल, बैंकिंग और सर्विस सेक्टर की गतिविधियां सबसे ज़्यादा प्रभावित हुईं। इसी कारण से देश की अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 1979-80 के बाद पहली बार इतनी गम्भीर स्थिति में पहुंची है। लेकिन, कोरोना संकट और लॉकडाउन के कारण देश का कृषि क्षेत्र लगभग अप्रभावित रहा और कृषि से संबंधित देश की ज़रूरतें पूरी होती रहीं।
दरअसल, इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च की एक रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना संकट में सिर्फ कृषि क्ष्रेत्र ही लगभग अपनी पूरी क्षमता के साथ काम कर सका। ऐसे में वित्त वर्ष 2020-21 में भी कृषि क्षेत्र में वार्षिक आधार पर क़रीब 3.5 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है। हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण मांग से देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में मदद मिल सकती है। लेकिन, ग्रामीण मांग, शहरी मांग का विकल्प नहीं हो सकती है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि देश की GDP यानि सकल घरेलू उत्पाद में कृषि क्षेत्र का योगदान क़रीब 17 प्रतिशत है। अब जबकि कोरोना संकट में कृषि क्षेत्र लगभग अप्रभावित रहा है, तो ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों की मांग अपने सर्वश्रेष्ठ स्तर पर बाज़ार में डिमांड बढ़ाने में मदद कर सकती है, लेकिन फिर भी यह शहरी मांग का विकल्प नहीं हो सकती है। यही कारण है कि चालू वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में देश की GDP ग्रोथ रेट में क़रीब 17.03 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान लगाया गया है।
रिपोर्ट के अनुसार, लॉकडाउन का कृषि क्षेत्र पर तुलनात्मक रूप से काफी कम प्रभाव पड़ा है। पिछले तीनों ही मौसमों, रबी 2019, खरीफ 2019 और रबी 2020 में अच्छी कृषि पैदावार देखने को मिली है। वहीं, देश के अधिकांश हिस्सों में प्री-मॉनसून बारिश से देश के अधिकांश हिस्सों में खरीफ 2020 की बुवाई पिछले साल की तुलना में अच्छी रही है। वहीं, अभी तक हुई बारिश से अनुमान लगाया जा सकता है कि देश के कई क्षेत्रों में बाढ़ के बावजूद, 2020 तक की खरीफ की फसल अच्छी रहेगी।
ख़ैर, अब जबकि कोरोना संकट की विपरीत परिस्थियों से उबरने में इंडस्ट्री और सर्विस सेक्टर को जब तक परेशानियां हैं, तब तक कृषि क्षेत्र, देश की अर्थव्यवस्था को काफी सहारा दे सकता है। हालांकि, ग्रामीण मांग और शहरी मांग में काफी अंतर होता है क्योंकि ग्रामीण मांग का एक बड़ा हिस्सा टिकाऊ वस्तुओं से अलग होता है। लेकिन, जून के महीने में बाइक और ट्रैक्टर की बिक्री के आंकड़े काफी उत्साहजनक हैं। ऐसे में अब जबकि इंडस्ट्री और सर्विस सेक्टर संघर्ष कर रहे हैं, कृषि सेक्टर ही देश की अर्थव्यवस्था का सहारा बना हुआ है।