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...तो 'इस कारण' से ज़रूरी नहीं कि COVID-19 की वैक्सीन सफल ही हो!

Wednesday - September 2, 2020 5:22 pm , Category : WTN HINDI
कोरोना वायरस की वैक्सीन पर जारी हैं रिसर्च
कोरोना वायरस की वैक्सीन पर जारी हैं रिसर्च

जानिए क्यों ख़तरनाक है कोरोना वायरस का बार-बार रूप बदलना?

 

SEP 02 (WTN) - चीन के वुहान शहर से फैली कोरोना वायरस संक्रमण महामारी इस समय पूरी दुनिया के सामने सबसे बड़ी चुनौती है। इस बीमारी की भयावहता का अंदाज़ आप इस बात से लगा सकते हैं कि इस लेख को लिखे जाने तक, कोरोना वायरस संक्रमण से पूरी दुनिया में अभी तक क़रीब 8,61,876 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, क़रीब 2,59,33,199 लोग इस बीमारी से संक्रमित हो चुके हैं।

 

ख़ैर, जैसा कि आप जानते ही हैं कि अभी तक इस बीमारी की ऐसी कोई भी प्रामाणिक वैक्सीन नहीं बन पाई है जो कि क्लीनिकल ट्रायल के सभी चरणों को पूरा कर चुकी हो। हालांकि, रूस ने दावा किया है कि वो कोरोना वायरस की सफल और सुरक्षित वैक्सीन बना चुका है। लेकिन, WHO ही रूस के इस दावे पर विश्वास नहीं कर रहा है क्योंकि रूस की इस वैक्सीन के सभी क्लीनिकल ट्रायल नहीं हुए हैं।

 

लेकिन, आप सोच तो रहे होंगे ही कि कोरोना वायरस संक्रमण महामारी की वैक्सीन बनने में इतना समय क्यों लग रहा है? तो इसका कारण है कोरोना वायरस का म्यूटेशन यानि उसका बार-बार रूप बदलना। वहीं, भारत समेत अन्य देशों में हो रहे रिसर्च से यह सवाल उठने लगे हैं कि कोरोना वायरस की वैक्सीन बन भी गई, तो यह कितनी कारगर साबित होगी? 

 

दरअसल, एक नई स्टडी में विशेषज्ञों ने कोरोना वायरस के बदलते स्वरूप पर चिंता ज़ाहिर की है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर कोरोना वायरस में म्यूटेशन होता रहा यानि यह बार-बार अपना स्वरूप बदलता रहा, तो वैक्सीन के इस पर होने वाले असर में भी फर्क आ सकता है। और, वहीं आशंका है कि कोरोना की वैक्सीन भी इसके संक्रमण को न रोक सके।

 

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जर्नल ऑफ़ लेबोरेटरी फिजिशियन की एक स्टडी रिपोर्ट में कोरोना वायरस के लगातार बदलते स्वरूप को लेकर कई जानकारियां दी गई हैं। यह पूरी स्टडी, कोरोना के 1,325 जीनोम, 1,604 स्पाइक प्रोटीन और 279 आंशिक स्पाइक प्रोटीन के विश्लेषण पर आधारित है। अमेरिका में हुई इस स्टडी के चीफ राइटर डॉ. सरमन सिंह ने अनुसार, कोरोना के स्पाइक प्रोटीन (SARS-COV-2) में 12 म्यूटेशन मिले हैं, और इनमें से 6 म्यूटेशन, नॉवेल म्यूटेशन थे। वहीं, इंडियन स्ट्रेन (MT012098.1) वायरस के संक्रमण में भी आनुवांशिक परिवर्तन पाया गया है। अब ऐसे में हम वैज्ञानिक यह नहीं जानते हैं कि यह रोग के वायरस को कैसे प्रभावित करेगा?"

 

बता दें कि स्टडी के अनुसार, SARS-CoV-2 वायरस के 'स्पाइक प्रोटीन' में कई बार बदलाव मिले हैं। दरअसल, यही स्पाइक प्रोटीन, कोरोना वायरस को मनुष्य की कोशिकाओं में अन्दर प्रवेश होने की शक्ति देता है। वहीं, जब ये स्पाइक प्रोटीन मानव शरीर में चला जाता है, तो मानव शरीर में कोरोना का संक्रमण फैलाना शुरू हो जाता है। 

 

साफ है कि कोरोना वायरस में लगातार म्यूटेशन हो रहा है और इसी कारण से इसकी वैक्सीन बनने में परेशानियां आ रही हैं। वहीं, वैज्ञानिकों को डर है कि यदि वैक्सीन बन भी गई, तो कोरोना वायरस के म्यूटेशन के कारण यह कितनी सफल हो पाएगी, यह कहना मुश्किल है। इधर, WHO यानि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, कोरोना वायरस की वैक्सीन को तैयार करने के लिए 170 से ज़्यादा जगहों पर प्रयास किए जा रहे हैं। इन 170 जगहों में से 138 कोशिशें अभी प्री क्लीनिकल दौर में हैं। वहीं, कई जगहों पर क्लीनिकल ट्रायल चल रहा है। लेकिन, दुनिया की आशा उन कोशिशों से हैं पर जहां क्लीनिकल ट्रायल के फेज़ तीन का ट्रायल चल रहा है।

 

ख़ैर, अब जबकि कोरोना वायरस संक्रमण के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं और अभी तक इसकी कोई भी वैक्सीन भारत में उपलब्ध नहीं है, तो समय की ज़रूरत है कि आप ख़ुद का पूरा ध्यान रखें। वहीं, घर से बाहर निकलते समय मास्क पहनें और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें। इतना ही नहीं, डॉक्टर की सलाह से योग, प्रणायाम और आयुर्वेद के ज़रिए ख़ुद की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएं। साथ ही, विटामिन-डी की शरीर में आपूर्ति के लिए कम से कम 20 मिनिट तक सूर्य की रोशनी के प्रत्यक्ष सम्पर्क में रहें।