BrahMos WORLD INDIA MADHYA PRADESH BHOPAL WTN SPECIAL GOSSIP CORNER RELIGION SPORTS BUSINESS FUN FACTS ENTERTAINMENT LIFESTYLE TRAVEL ART & LITERATURE SCIENCE & TECHNOLOGY HEALTH EDUCATION DIASPORA OPINION & INTERVIEW RECIPES DRINKS BIG MEMSAAB 2017 BUDGET 2017 FUNNY VIDEOS VIRAL ON WEB PICTURE STORIES Mahakal Ke Darshan
WTN HINDI ABOUT US PRIVACY POLICY SITEMAP CONTACT US
logo
Breaking News

कोरोना वायरस संकट के बीच एंटीबॉडी को लेकर आई 'अच्छी ख़बर'

Friday - September 4, 2020 11:52 am , Category : WTN HINDI
कोरोना वायरस के ख़िलाफ़ एंटीबॉडी काफी महत्वपूर्ण
कोरोना वायरस के ख़िलाफ़ एंटीबॉडी काफी महत्वपूर्ण

स्टडी का दावा: कोरोना वायरस के ख़िलाफ़ संक्रमित हो चुके लोगों में बढ़ रही है एंटीबॉडी

 

SEP 04 (WTN) - जैसा कि आप जानते ही हैं कि कोरोना वायरस के मामले दिनों-दिन बढ़ते ही जा रहे हैं। लेकिन, अभी तक कोरोना वायरस की कोई भी प्रामाणिक वैक्सीन नहीं बन पाने के कारण कोरोना वायरस के कारण हज़ारों की संख्या में लोग संक्रमित हो रहे हैं और मरीज़ों की मौत के आंकड़े बढ़ते ही जा रहे हैं। हालांकि, रूस ने दावा किया है कि उसके वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस की सुरक्षित और सफल वैक्सीन बना ली है। लेकिन, इस वैक्सीन के सभी क्लीनिकल ट्रायल पूरे नहीं हुए हैं: इसलिए, इस वैक्सीन की प्रामाणिकता पर अभी पूरी तरह से विश्वास नहीं किया जा रहा है।


ख़ैर, इस सबके बीच, कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने के लिए वैज्ञानिक दिन-रात मेहनत कर रहे हैं। वहीं, कोरोना वायरस के प्रभावों पर वैज्ञानिक लगातार रिसर्च भी कर रहे हैं। वैसे अभी तक की स्टडी में यह बात सामने आई है कि कोरोना वायरस से संक्रमित होने और ठीक होने के बाद भी कुछ लोग फिर से संक्रमित हो रहे हैं, क्योंकि उनके शरीर में एंटीबाडी में कमी पाई गई है।
लेकिन, आइलैंड के लोगों पर की गई एक स्टडी से उम्मीद कि किरण दिखी है। दरअसल, न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ़ मेडिसिन में प्रकाशित हुई इस स्टडी में रीइंफेक्शन और इम्यूनिटी को लेकर बड़ा दावा किया है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि स्टडी के लिए शोधकर्ताओं ने 30,576 लोगों से सीरम के सैंपल लिए, और इसके लिए छह अलग-अलग तरह के एंटीबॉडी टेस्ट किए। शोध के बाद शोधकर्ताओं ने  दावा किया है कि कोरोना वायरस संक्रमण महामारी से ठीक हो चुके 1,797 लोगों में से 91.1 प्रतिशत लोगों में अच्छे स्तर की एंटीबॉडी पाई गई है।

वहीं, स्टडी में दावा किया गया है कि कोरोना वायरस संक्रमण बीमारी से ठीक हो चुके लोगों के शरीर में एंटीबॉडी के इस स्तर में चार महीनों तक कोई कमी नहीं देखी गई। इतना ही नहीं, चूंकि कोरोना वायरस सबसे ज़्यादा बुजुर्गों को ही प्रभावित करता है, लेकिन इस शोध के अनुसार बुजुर्गों में अधिक इम्यून रिस्पॉन्स पाया गया। दरअसल, यह एक अच्छी ख़बर है क्योंकि कोरोना वायरस की वैक्सीन की सफलता के लिए ज़्यादा इम्यून रिस्पॉन्स होना बेहद ज़रूरी है।
बता दें कि स्टडी के अनुसार, शोध में लोगों में पाए गए ज़्यादा इम्यून रिस्पॉन्स से इस दावे की पुष्टि होती है कि पहली बार कोरोना वायरस से ठीक होने के बाद रीइंफेक्शन के मामले बहुत ही कम आते हैं। ख़ैर, वैज्ञानिकों के अनुसार, कोरोना वायरस फैलने से रोकने के लिए क़रीब 70 प्रतिशत जनसंख्या में एंटीबॉडी होना बेहद ज़रूरी है।

इधर, डॉक्टर्स के अनुसार, कोरोना वायरस के पहले संक्रमण की तुलना में दूसरा संक्रमण बहुत हल्का होता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद उस वायरस से लड़ने की क्षमता शरीर में पैदा हो जाती है, और इसी क्षमता के कारण दूसरी बार संक्रमित होने पर वायरस ज़्यादा प्रभावित नहीं कर पाता है।

लेकिन, वैज्ञानिकों और डॉक्टर्स का मानना है कि कोरोना वायरस के मामले में यह अभी पूरे विश्वास के साथ नहीं कहा न सकता है कि कोरोना वायरस के ख़िलाफ़ एंटीबॉडी, शरीर में कितनी देर तक रहती है क्योंकि ऐसा भी हो सकता है कि धीरे-धीरे मानव शरीर में इम्यूनिटी कम होती जाए, और शरीर फिर से वायरस के संपर्क में आ जाए।

हालंकि, स्टडी का कहना है कि कोरोना वायरस और उसकी एंटीबाडी के बारे में घबराने की ज़रूरत नहीं है। ख़ैर, अब तो कोरोना वायरस से बचने के लिए हर्ड इम्यूनिटी और वैक्सीन पर ही लोगों की आशा टिकी हुई है। वहीं, वैज्ञानिकों और डॉक्टर्स को उम्मीद है कि वैक्सीन से मिली एंटीबॉडी लंबे समय तक टिकी रहेगी।  

ख़ैर, अब जबकि कोरोना वायरस संक्रमण के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं और अभी तक इसकी कोई भी वैक्सीन भारत में उपलब्ध नहीं है, तो समय की ज़रूरत है कि आप ख़ुद का पूरा ध्यान रखें। वहीं, घर से बाहर निकलते समय मास्क पहनें और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें। इतना ही नहीं, डॉक्टर की सलाह से योग, प्रणायाम और आयुर्वेद के ज़रिए ख़ुद की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएं। साथ ही, विटामिन-डी की शरीर में आपूर्ति के लिए कम से कम 20 मिनिट तक सूर्य की रोशनी के प्रत्यक्ष सम्पर्क में रहें।