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मोदी सरकार ने चीन को सबक़ सिखाने चली 'बड़ी चाल"

Saturday - September 5, 2020 12:12 pm , Category : WTN HINDI
चीन को उसी की भाषा में जवाब देती मोदी सरकार
चीन को उसी की भाषा में जवाब देती मोदी सरकार

चीन को फिर दिया भारत ने 'आर्थिक झटका'


SEP 05 (WTN) - चीन एक ऐसा देश है जो अपने हर पड़ोसी देश के साथ किसी न किसी तरह से सीमा विवाद या कोई अन्य विवाद करता ही रहता है। दरअसल, विस्तारवादी मानसिकता वाली चीन की वामपंथी सरकार लगातार भारत के साथ LAC (Line of Actual Control) पर सीमा विवाद कर रही है। इतना ही नहीं, LAC पर दोनों देशों के बीच विवाद एक समय इतना बढ़ गया था कि पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प तक हो चुकी है, जिसमें भारत के 20 सैनिक वीर गति को प्राप्त हो गए थे।

लेकिन, गलवान घाटी की घटना के बाद से भारत की मोदी सरकार, चीन के ख़िलाफ़ काफी सख़्त रूख अपना रही है। मोदी सरकार का यह सख़्त रूख LAC पर तो दिख ही रहा है। वहीं, मोदी सरकार, चीन को आर्थिक रूप से भी सबक़ सिखाने के लिए कड़े क़दम उठा रही है। इसी कड़ी में जैसा कि आप जानते ही हैं कि भारत सरकार ने टिक टॉक समेत चीन के कई ऐप्स पर प्रतिबंध लगा दिया है। वहीं, चीन से होने वाले आयात को सीमित रखने के लिए भारत सरकार, आयात के नियमों में संशोधन कर और टैरिफ बढ़ाकर चीन को सबक सिखा रही है।

वहीं, मोदी सरकार ने अब FTA (Free Trade Agreement) यानि मुक्त व्यापार समझौते के तहत चीन से आयात कम करने के लिए बड़ा क़दम उठाया है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मोदी सरकार अब आयात क़ानून के अंतर्गत रूल्स ऑफ़ ऑरिजिन का नियम लागू करने जा रही है, जिससे FTA के होने वाले चीन के आयात पर आसानी से अंकुश लगाया जा सकेगा।

दरअसल, रूल्स ऑफ़ ऑरिजिन का नियम लागू होने से अब चीन, वियतनाम, इंडोनेशिया और थाइलैंड जैसे देशों के ज़रिए भी भारत में बिना अनुमति के सामान नहीं भेज सकेगा। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि रूल्स ऑफ़ ऑरिजिन के ज़रिए मोदी सरकार ने चीन के आयात पर शिकंजा कसने के लिए ख़राब क्वालिटी वाले प्रोडक्ट्स का आयात रोकने और FTA में भागीदार देश के माध्यम से किसी तीसरे देश (चीन) के उत्पादों की डंपिंग को रोकने के लिए यह क़दम उठाया गया है।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि FTA समझौते में दो व्यापारिक भागीदार वाले देश आपसी व्यापार वाले प्रॉक्टस पर आयात शुल्क या सीमा शुल्क को या तो पूरी तरह से हटा देते हैं, या फिर उसे कम कर देते हैं। वहीं, FTA के नियमों के अनुसार, व्यापार करार के तहत टैरिफ में कमी या छूट के दावे के लिए आयातक या उसके एजेंट को सामान का बिल जमा कराते समय यह घोषणा करनी होती है कि संबंधित उत्पाद तरजीही शुल्क दर का पात्र है।

दरअसल, चीन के आयात पर अंकुश लगाने के लिए मोदी सरकार, FTA के नियमों को हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रही है। बता दें कि FTA के प्रावधानों के तहत, जिस देश ने भारत के साथ FTA किया है वह देश किसी तीसरे देश के प्रोडक्ट पर अपने देश का लेबल लगाकर उस प्रोडक्ट को भारत के बाज़ार में डम्प नहीं कर सकता है। वहीं, यदि वो देश ऐसा करता है, तो उसे किसी तीसरे देश के उत्पाद को भारतीय बाज़ार में निर्यात करने के लिए उसकी क़ीमत में वृद्धि करना पड़ेगी।

गौर करने वाली बात यह है कि भारत का आसियान के 10 देशों के साथ FTA है। वहीं, आसियान के 10 देशों में से कई देशों का चीन के साथ भी FTA है, जिनमें वियतनाम, थाइलैंड और इंडोनेशिया जैसे देश शामिल हैं। दरअसल, भारत सरकार, FTA के नियमों के ज़रिए चीन में निर्मित उत्पादों की किसी तीसरे देश के ज़रिए डंपिंग को रोकने में मदद ले रही है। कहा कि सकता है कि मोदी सरकार के इस बड़े और कड़े फैसले से FTA के ज़रिए होने वाले चीन के आयात पर अंकुश लगेगा, और चीन को सबक सीखने मिलेगा।