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जानिए क्यों मुश्किल है कोरोना वायरस की वैक्सीन का जल्द सभी तक पहुंचना?

Saturday - September 5, 2020 5:46 pm , Category : WTN HINDI
कोरोना वायरस की वैक्सीन पर जारी हैं रिसर्च
कोरोना वायरस की वैक्सीन पर जारी हैं रिसर्च

कोरोना वैक्सीन के मामले में सामने आया अमेरिका और रूस के अड़ियल रवैया

 

SEP 05 (WTN) - जैसा कि आप जानते ही हैं कि चीन के वुहान शहर से फैली कोरोना वायरस संक्रमण बीमारी (COVID-19) इस समय मानव सभ्यता के सामने सबसे बड़ी चुनौती है। इस महामारी की भयावहता का अंदाज़ा आप इस बात से लगा सकते हैं कि इस लेख को लिखे जाने तक, कोरोना वायरस संक्रमण बीमारी से अभी तक पूरी दुनिया में क़रीब 8,79,681 लोगों की मौत हो चुकी है।
 
वहीं, जबकि एक तरफ दिनों-दिन कोरोना वायरस के केस बढ़ते ही जा रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ कोरोना वायरस की कोई भी प्रामाणिक वैक्सीन अभी तक नहीं बन पाने से चिंता बढ़ती ही जा रही है। हालांकि, दुनिया भर के वैज्ञानिक कोरोना वायरस संक्रमण बीमारी की वैक्सीन बनाने के लिए दिन-रात मेहनत कर रहे हैं, लेकिन इस दिशा में अभी तक कोई भी ठोस सफ़लता हासिल नहीं हो सकी है। वहीं, रूस ने दावा ज़रूर किया है कि उसके वैज्ञानिकों ने स्पूतनिक-5 नाम से कोरोना वायरस की वैक्सीन बना ली है। लेकिन, चूंकि वैक्सीन के सभी क्लीनिकल ट्रायल पूरे नहीं हुए हैं; इसलिए, स्पूतनिक-5 पर विश्वास नहीं किया जा रहा है।

 

लेकिन, इस सबके बीच, कोरोना वायरस की वैक्सीन को लेकर WHO (World Health Organization) यानि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चिन्ता ज़ाहिर करते हुए कहा है कि अगले साल यानि 2021 के मध्य तक बड़े पैमाने पर कोरोना वैक्सीनेशन की उम्मीद नहीं रखना चाहिए। दरअसल, WHO ने यह चिन्ता इसलिए ज़ाहिर की है क्योंकि कोरोना वायरस के लिए दुनिया भर में बन रही सभी वैक्सीन के सभी तरह के क्लीनिकल ट्रायल होना अभी बाक़ी है।

 

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि WHO की प्रवक्ता डॉ. मारग्रेट हैरिस ने कोरोना वायरस की वैक्सीन के बारे में जानकारी देते हुए कहा है कि फ़िलहाल जो भी कोरोना वायरस की वैक्सीन बन रही हैं वो एडवांस क्लीनिकल ट्रायल में हैं, लेकिन अभी तक किसी भी वैक्सीन ने कोरोना वायरस को रोकने की 50 प्रतिशत क्षमता का प्रदर्शन नहीं किया है। जी हां, दरअसल, यह बात सही भी है क्योंकि कोरोना की भयानक होती स्थिति में किसी भी वैक्सीन से यह उम्मीद तो की ही जाती है कि कम से कम वह 50 प्रतिशत असरदार हो।

 

हालांकि, आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अमेरिकी दवा कंपनी फाइजर ने कहा है कि उनकी वैक्सीन इस साल अक्टूबर तक लोगों तक पहुंचने की स्थिति में आ जाएगी। लेकिन, WHO का तर्क है कि अगले साल के मध्य तक बड़े पैमाने पर कोरोना टीकाकरण की उम्मीद करना बेमानी होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि दुनिया भर में बन रही सभी कोरोना वैक्सीन के क्लीनिकल स्टेज के तीसरे ट्रायल में काफी वक़्त लगेगा। वहीं, क्लीनिकल स्टेज के तीसरे ट्रायल के परीक्षणों से ही पता चलेगा कि कोरोना की वैक्सीन कितनी असरदार है।

 

इधर, WHO की कोशिश है कि दुनिया भर के अलग-अलग देशों में बन रही कोरोना वैक्सीन से संबंधित आंकड़ों और परिणामों को आपस में ज़रूर शेयर करना चाहिए। वहीं, कोरोना वायरस की वैक्सीन बनने के बाद WHO, GAVI (Global Alliance for Vaccines and Immunisation) के साथ मिलकर दुनिया भर में कोवैक्स (COVAX) नाम की वैक्सीन बांटना चाहता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि GAVI एक अंतरराष्ट्रीय समझौता है। और इस समझौते के तहत, जिसमें बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन भी शामिल है, कोरोना वायरस से सबसे ज़्यादा प्रभावित देश और लोगों तक COVAX नाम की कोरोना वैक्सीन पहुंचाई जाए।

 

जहां एक तरफ WHO चाहता है कि वह COVAX वैक्सीन की 200 करोड़ से ज्यादा डोज, साल 2021 के आख़िरी तक पूरी दुनिया में बांटा दे। लेकिन, अमेरिका और रूस समेत कुछ देशों ने द्विपक्षीय समझौते कर रखे हैं, जिसमें यह देश WHO की इस मुहिम में शामिल ही नहीं होना चाहते हैं। दरअसल, यह देश उनके देश में बनी कोरोना वैक्सीन को सबसे पहले अपने देश के लोगों को देना चाहते हैं। स्वाभाविक है कि इन देशों की इसी मानसिकता के कारण कोरोना वैक्सीन बनने के बाद भी इस वैक्सीन के दुनिया के हर कोने तक पहुंचने में काफी वक़्त लग सकता है।

 

ख़ैर, अब जबकि कोरोना वायरस संक्रमण के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं और अभी तक इसकी कोई भी वैक्सीन भारत में उपलब्ध नहीं है, तो समय की ज़रूरत है कि आप ख़ुद का पूरा ध्यान रखें। वहीं, घर से बाहर निकलते समय मास्क पहनें और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें। इतना ही नहीं, डॉक्टर की सलाह से योग, प्रणायाम और आयुर्वेद के ज़रिए ख़ुद की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएं। साथ ही, विटामिन-डी की शरीर में आपूर्ति के लिए कम से कम 20 मिनिट तक सूर्य की रोशनी के प्रत्यक्ष सम्पर्क में रहें।