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जानिए क्या है इनर मंगोलिया में चीन की वामपंथी सरकार का नया 'दमन चक्र'?

Monday - September 7, 2020 12:26 pm , Category : WTN HINDI
इनर मंगोलिया में चीन के ख़िलाफ़ जारी हैं विरोध प्रदर्शन
इनर मंगोलिया में चीन के ख़िलाफ़ जारी हैं विरोध प्रदर्शन

अब चीन की वामपंथी सरकार बदल रही है इनर मंगोलिया की 'पहचान' 

 

SEP 07 (WTN) - क्या आप जानते हैं कि पूरी दुनिया में कोरोना वायरस संक्रमण महामारी फैलाने वाले चीन ने अपने पड़ोसी देशों की ज़मीन पर कब्ज़ा कर अपना नक्शा इतना बड़ा बना लिया है? इतना ही नहीं, इसी चीन की वामपंथी सरकार हड़पी गई ज़मीन के लोगों पर अत्याचार की पराकाष्ठा कर रही है, और आरोप है कि चीन की वामपंथी सरकार उनकी सांस्कृतिक पहचान ख़त्म करने के लिए उनका सामूहिक नरसंहार तक करती रही है। जी हां, तिब्बती और उइगर मुस्लिम इसके सबसे बड़े उदाहरण हैं।

ख़ैर, आपकी जानकारी के लिए बता दें कि चीन की वामपंथी सरकार, चीन के हान वंश और चीनी भाषा मैंडेरिन (Mandarin) की श्रेष्ठता स्थापित करने के लिए अब इनर मंगोलिया के लोगों पर एक नया सांस्कृतिक अत्याचार करने जा रही है। जी हां, आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इनर मंगोलिया में रहने वाले अभिभावकों पर चीन की वामपंथी सरकार ने सांस्कृतिक अत्याचार करने के लिए एक नया आदेश जारी किया है कि यहां यानि इनर मंगोलिया में स्थित स्कूलों में तीन प्रमुख विषयों को मंगोलियाई भाषा की जगह चीन की आधिकारिक भाषा मैंडेरिन (Mandarin) में पढ़ाया जाए।

 

वैसे सबसे पहले तो आप सोच रहे होंगे कि आख़िर यह इनर मंगोलिया है क्या? तो आइये, सबसे पहले आपको इसके बारे में विस्तार से जानकारी देते हैं। दरअसल, एक समय था जब चीन के कब्ज़े वाले इनर मंगोलिया और आउटर मंगोलिया मिलकर ग्रेटर मंगोलिया बनाते थे। लेकिन, साल 1911 में जब चीन में गणतंत्र बना, तब लगा कि रूस की मदद से मंगोलिया भी स्वतंत्र हो जाएगा। लेकिन, रूस की मदद के बाद भी मंगोलिया कभी भी पूरी तरह से स्वतंत्र नहीं हो पाया, और इनर मंगोलिया पर चीन का कब्ज़ा अभी तक है।

 

बता दें कि चीन के क्षेत्रफल का क़रीब 12 प्रतिशत इनर मंगोलिया में आता है। लेकिन, चीन की वामपंथी सरकार ने यहां पर ऐसा सांस्कृतिक दमन किया हुआ है और जनसंख्या समीकरण बदलने का ऐसा तरीक़ा अपनाया है कि अब इनर मंगोलिया में मंगोल अल्पसंख्यक हो चुके थे, और चीन का मुख्य हान समुदाय यहां पर बहुसंख्यक होकर हावी हो चुका है। चीन के नेता माओ के प्रभाव में चीन की वामपंथी सरकार ने चीनी संस्कृति के विस्तार के लिए ऐसी आक्रामक नीति अपनाई कि अभी तक क़रीब साढ़े चार करोड़ लोग चीन के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के कारण मारे जा चुके हैं, जिसमें कई जातियों और संस्कृतियों का पूरी और बुरी तरह से दमन कर दिया गया है।

 

जहां तक मंगोल लोगों की बात है, तो इनर मंगोल में रहने वाले मंगोल प्रजाति के लोगों का भी चीन की वामपंथी सरकार ने बुरी तरह से दमन किया है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 'चाइना कल्चरल रिवॉल्यूशन' नाम की एक पुस्तक के लेखक लामजाब बोरजिगिन के अनुसार, चीन ने इनर मंगोलिया में पिछले 50 सालों के दौरान नृशंस तरीक़े से दमन किया है। लेखक का आरोप है कि सालों से चले आ रहे चीन सरकार के दमन से इनर मंगोलिया में क़रीब 1 लाख लोगों को ख़त्म कर एक पूरी जाति को खत्म करने की कोशिश की गई है।

 

अब आते हैं मुख्य मुद्दे पर। जैसा कि आप जान ही गए होंगे कि चीन अपने यहां मौजूद अल्पसंख्यकों का पूरी तरह से सांस्कृतिक खात्मा कर उन्हें कुचलता जा रहा है। इसी कड़ी में चीन अब इनर मंगोलिया में अपनी 'राष्ट्रीय भाषा में शिक्षा' की नीति को इनर मंगोलिया के लोगों पर ज़बरदस्ती थोप रहा है। दरअसल, ईइनर मंगोलिया के लोगों का मानना है कि चीन की वामपंथी सरकार की यह नीति मंगोल भाषा को खत्म करने का एजेंडा है।

 

चीन की सरकार का आदेश है कि राजनीति, इतिहास और भाषा व साहित्य जैसे तीन प्रमुख विषयों को चीन की आधिकारिक मैंडेरिन भाषा में पढ़ाया जाए। लेकिन, चीन सरकार के इस आदेश के ख़िलाफ़ इनर मंगोलिया में विरोध तेज़ होता जा रहा है। विरोध इतना ज़्यादा बढ़ता जा रहा है कि अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल ही नहीं भेजने का फैसला ले रहे हैं, और इनर मंगोल में रहने मंगोलियन लोग अपनी मातृभाषा के अस्तित्व और उसमें पढ़ाई के लिए एकजुट दिख रहे हैं।

 

चीन की वामपंथी सरकार के ख़िलाफ़  इनर मंगोलिया में लोग बड़ी संख्या में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं, मंगोलियन महिलाएं, चीन की वामपंथी सरकार की इस नीति के ख़िलाफ़ बाकायदा हस्ताक्षर अभियान चला रही हैं। लेकिन, अभिव्यक्ति की हर आवाज़ को कुचलने वाली चीन की वामपंथी सरकार ने इस विरोध प्रदर्शन को कुचलने के लिए दंगा निरोधक पुलिस की तैनाती की है, और चीन की वामपंथी सरकार अपने "सांस्कृतिक आतंकवाद" को बलपूर्वक लागू करने के लिए इनर मंगोलिया में दमन चक्र चला रही है।