मोदी सरकार के 'इस' फैसले से लोगों का सहकारी बैंकों में बढ़ेगा विश्वास
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सहकारी बैंक के डिफाल्टर होने पर जमाकर्ताओं को अब नुकसान से बचाएगा RBI!
SEP 15 (WTN) - स्वाभाविक है कि 21 वीं सदी के इस समय में आपका किसी न किसी बैंक में खाता तो होगा ही। लेकिन, देखा गया है कि आजकल बैकिंग सेक्टर में काफी जोखिम हो गया है खासकर सहकारी क्षेत्र की बैंकों में। दरअसल, पिछले कुछ समय से बैंकों में होने वाली घोटालों से लोगों का बैंकों की व्यवस्था में विश्वास ज़रा कम हो गया है।
दरअसल, बैंकों में घोटालों के सबसे ज़्यादा मामले सहकारी बैंकों में ही सामने आते रहे हैं। अब चूंकि सहकारी बैकों में ग्रामीण क्षेत्रों से लेकर शहरी क्षेत्रों तक के लोग इससे जुड़े हैं, तो सहकारी बैंकों में होने वाले इन घोटालों से लोगों का विश्वास सहकारी बैंकों से डगमगाने लगा था। लेकिन, ऐसे में अब मोदी सरकार ने ऐसा क़दम उठाया है जिससे सहकारी बैंकों के कामकाज पर अब देश की केन्द्रीय बैंक RBI (Reserve Bank of India) यानि भारतीय रिज़र्व बैंक नज़र रख सकेगी।
जी हां, RBI जिस तरह से अभी तक सभी सरकारी और प्राइवेट बैंक को रेगुलेट करता आया है, अब RBI उसी तरह से देश के सभी सहकारी बैंकों को भी रेगुलेट करेगा। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस समय देश में 1,482 शहरी सहकारी बैंक और 58 मल्टी-स्टेट कोऑपरेटिव बैंक हैं। मोदी सरकार के इस नए फैसले से अब RBI इन सभी 1,540 सहकारी बैंकों को रेगुलेट करेगी। बता दें कि बैंकों को रेगुलेट करने का यह पूरा काम RBI की सब्सिडियरी DICGC (Deposit Insurance and Credit Guarantee Corporation) द्वारा किया जाता है।
दरअसल, मोदी सरकार का यह फैसला ग्राहकों के हित में है। ऐसा इसलिए क्योंकि अब जबकि सहकारी बैंक RBI द्वारा रेगुलेट किए जाएंगे, तो अगर अब कोई भी सहकारी बैंक डिफॉल्टर होता है, तो उस बैंक के खाताधारक की बैंक में जमा 5 लाख रुपये तक की राशि पूरी तरह से सुरक्षित है जैसा कि अभी तक किसी भी सरकारी और प्राइवेट बैंक में होता है। दरअसल, वित्त मंत्री ने एक फरवरी 2020 को पेश किए बजट में इसे इस राशि को 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया है।
इस नियम के अनुसार, अगर कोई बैंक डूब जाता है या दिवालिया हो जाता है, तो उसके जमाकर्ताओं की बैंक में कितनी ही राशि जमा हो, लेकिन उन्हें अधिकतम 5 लाख रुपये ही मिलेंगे जबकि पहले यह राशि अधिकतम 1 लाख रुपये ही थी। बात दें कि इसके लिए DICGC एक्ट, 1961 की धारा 16 (1) में प्रावधान किए गए हैं। इन प्रावधानों के अनुसार, यदि कोई बैंक डिफाल्टर हो जाता है, तो DICGC उस बैंक के सभी जमाकर्ताओं को अधिकतम एक तय राशि का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होता है।
लेकिन, DICGC के नियमों के अनुसार इसके भी कुछ नियम हैं। जैसे कि यदि किसी एक ही बैंक की कई ब्रांच में आपके खाते हैं, और यदि यह बैंक डिफाल्टर हो जाता है, तो इस बैंक के सभी खातों में जमा पैसे, FD और ब्याज को जोड़ा जाएगा और अधिकतम 5 लाख रुपए की राशि को ही सुरक्षित माना जाएगा। वहीं, यह राशि जमाकर्ता को किस तरह से मिलेगी, इसके लिए DICGC ही गाइडलाइन्स तय करेगा।
दरअसल, मोदी सरकार के इस फैसले से आम जनता का विश्वास एक बार फिर से सहकारी बैंकों की तरफ बढ़ेगा और उन्हें लगेगा कि उनका पैसा बैंकों में सुरक्षित है। अब जबकि RBI, सहकारी बैंकों के कामकाज पर नज़र रखेगा, तो आम जनता का सहकारी बैंकों पर विश्वास बढ़ेगा। अब जबकि सरकारी और प्राइवेट बैंकों की तरह ही सहकारी बैंकों को भी अपनी कुछ पूंजी RBI के पास रखनी होगी। ऐसे में इन बैंकों पर RBI की निगरानी रहने से इन बैंकों में घोटाले होने की आशंका कम होगी।
इतना ही नहीं, अब सहकारी बैंकों को भी RBI के नियमों को मानना होगा, जिससे देश की मौद्रिक नीति को सफल बनाने में पहले की तुलना में आसानी होगी। वहीं, अब जबकि सभी बैंक RBI की निगरानी में होंगे, तो बैंकों की वित्तीय हालात ठीक होने की आशा की जानी चाहिए। कहा जा सकता है कि मोदी सरकार के इस फैसले के कई फायदे आने वाले समय में देखने को मिल सकते हैं।