चीन को 'घेरने' के लिए मोदी सरकार ने बनाई रणनीति
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चीन के ख़िलाफ़ भारत ने कई देशों के साथ किया 'समझौता'
SEP 15 (WTN) - चीन एक ऐसा देश बन गया है जो कि पूरी दुनिया के लिए मुसीबत, और विश्व शान्ति के लिए एक ख़तरा बनता जा रहा है। चीन अपने हर पड़ोसी देश के साथ सीमा विवाद करता रहता है। वहीं, चीन अब साउथ चाइना सी के क़रीब 85 प्रतिशत हिस्से पर अपना दावा जता कर दादागिरी पर उतर आया है, और यहां पर उसने कई कृत्रिम द्वीप तक बना लिए हैं। ख़ैर, जहां तक भारत की बात है, तो चीन, भारत के साथ भी सीमा विवाद करता रहता है। लेकिन, भारत की मोदी सरकार ने चीन को सबक सिखाने के लिए उसे घेरना शुरू कर दिया है।
दरअसल, भारत को चारों तरफ से घेरने के लिए चीन ने भारत के पड़ोसी देशों पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका को क़र्ज़ देकर उन्हें एक तरह से अपनी तरफ कर लिया है। चीन, भारत को समुद्री रास्ते से घेरने के लिए खुद को समुद्र में एक सुपर पावर बना रहा है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पाकिस्तान को क़र्ज़ देकर चीन ने पाकिस्तान के कराची और ग्वादर बंदरगाहों पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली है। वहीं, श्रीलंका के हम्बनटोटा बंदरगाह को भी चीन क़र्ज़ के बदले अपने 'कब्ज़े' में ले चुका है।
लेकिन, ऐसा नहीं है कि चीन की इन हरक़तों पर भारत या किसी अन्य देश की नज़र नहीं है। दरअसल, चीन की बढ़ती हुई विस्तारवाद की मानसिकता पर लगाम लगाने के लिए अब भारत समेत कई देश एकजुट हो रहे हैं। इसी कड़ी में भारत ने जापान के साथ एक सैन्य समझौता किया है। इस समझौते के तहत अब भारत और जापान एक-दूसरे को सैनिक सहायता देंगे। स्वभाविक है कि इस सैन्य समझौते का मुख्य उद्देश्य चीन के विस्तारवाद के ख़तरे को काउंटर करना है।
वहीं, जानकारों के अनुसार, अब फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया भी भारत के साथ इसी तरह का सैन्य समझौता कर सकते हैं। यदि इस तरह का कोई समझौता होता है, तो इसके तहत वे एक-दूसरे के समुद्री सैन्य बेस का इस्तेमाल कर सकेंगे। बता दें कि भारत और जापान के बीच हुए इस समझौते का नाम MLSA (Mutual Logistics Support Agreement) है। इस समझौते के अंतर्गत, भारतीय सेनाओं को अब जापानी सेनाएं अपने अड्डों पर ज़रूरी सामग्री की आपूर्ति कर सकेंगी और डिफेंस इक्यूपमेंट्स की सर्विसिंग भी देंगी। वहीं, यह सभी सुविधाएं जापानी सेनाओं को भारतीय सैन्य अड्डों पर भी मिलेंगी।
माना जा रहा है कि युद्ध की स्थिति में यह सेवाएं भारत और जापान दोनों के लिए ही काफी महत्वपूर्ण साबित हो सकती हैं। दरअसल, भारत और जापान के बीच हुए इस सैन्य समझौते से चीन को हिन्द महासागर में रोका जा सकेगा। लेकिन, आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इसी तरह के कुछ समझौते भारत, अमेरिका फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया के साथ कर चुका है।
साल 2016 में भारत और अमेरिका के बीच हुए इसी तरह के एक समझौते LEMOA (Logistics Exchange Memorandum of Agreement) के तहत, भारत और अमेरिका एक-दूसरे को नौसेना से जुड़ी कई तरह की मदद दे सकते हैं, जिसमें एक-दूसरे के पोर्ट्स का कुछ सीमा तक इस्तेमाल भी शामिल है। वहीं, साल 2018 में फ्रांस के साथ हुए समझौते के तहत, भारत की नौसेना, फ्रांस के नेवी पोर्ट पर ठहर सकती है और वहां सैन्य मदद भी ले सकती है। इसी तरह से ऑस्ट्रेलिया के साथ हुए समझौते के अंतर्गत, दोनों देशों को अपने युद्धपोत और सैन्य सेवाओं के आदान-प्रदान की छूट है।
ख़ैर, अब जबकि समुद्री इलाकों में चीन अपनी दादागिरी दिखा रहा है, तो चीन की दादागिरी पर लगाम लगाने के लिए भारत, फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया के साथ नए सिरे से कोई समझौता कर सकता है। इसी के मद्देनज़र तीनों देशों के बीच बातचीत की शुरुआत हो चुकी है। तीनों देशों के बीच यदि समुद्री साझेदारी होती है, तो इसके अंतर्गत तीनों देश एक दूसरे के बंदरगाहों का इस्तेमाल कर सकेंगे। वहीं, हथियारों की साझेदारी के साथ-साथ कई अन्य क्षेत्रों में भी साझेदारी कर सकेंगे।
स्पष्ट है कि चीन को घेरने के लिए भारत ने जापान, फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया के साथ एक गठबंधन बना लिया है। वहीं, भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ किए गए QUAD (The Quadrilateral Security Dialogue) समझौते के तहत भी चीन को घेरने की तैयारी में है। बता दें कि QUAD समझौते के तहत भारत अब इन देशों के साथ व्यापार के साथ-साथ अपने सैनिक बेस को भी मजबूती प्रदान करेगा, जो कि चीन पर नकेल कसने की तरह होगा।