क्या चीन के लिए आसान होगा ताइवान पर कब्ज़ा करना?

ताइवान और अमेरिका के गठजोड़ से बौखलाए चीन ने दी ताइवान पर कब्ज़े की 'धमकी'
SEP 19 (WTN) - जैसा कि आप जानते ही होंगे कि चीन एक ऐसा देश है, जिसने अपने हर पड़ोसी देश के साथ सीमा विवाद को खड़ा किया है। इतना ही नहीं, चीन काफी समय से दक्षिण चीन सागर में अपनी दादागिरी दिखा रहा है। दरअसल, दक्षिण चीन सागर के क़रीब 80 प्रतिशत हिस्से पर चीन की वामपंथी सरकार अपनी दावेदारी करती है। वहीं, चीन ने दक्षिण चीन सागर पर कब्ज़ा जमाने के लिए यहां पर कई कृत्रिम द्वीप तक बना लिए हैं। स्पष्ट है कि चीन की वामपंथी सरकार अपनी विस्तारवाद की नीति को आगे बढ़ी रही है। और इसी कड़ी में चीन ने ऐलान कर दिया है कि वो ताइवान पर कब्ज़ा कर सकता है।
जी हां, आपकी जानकारी के लिए बता दें कि चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स ने इस बात को स्वीकार किया है कि चीन की सेना, ताइवान पर कब्ज़े के लिए अभ्यास कर रही है, लेकिन बस कब्ज़े का कोई भी राजनीतिक कारण मिले। दरअसल, आपकी जानकारी के लिए बता दें कि चीन और ताइवान के बीच सालों से विवाद चलता आ रहा है। जहां एक तरफ ताइवान ख़ुद को वास्तविक चीन मानता है। वहीं, दूसरी तरफ चीन ख़ुद को वास्तविक चीन मानता है और ताइवान के अस्तित्व को स्वीकार ही नहीं करता है।
लेकिन, पिछले कुछ समय से ताइवान की अमेरिका के साथ बढ़ती नज़दीकियों से चीन और ताइवान के बीच युद्ध के हालात निर्मित हो गए हैं। वहीं, इस सबके बीच, शुक्रवार को चीन की PLA ( People's Liberation Army) ने ताइवान के पास सुबह 7 बजे एक साथ अपने 18 लड़ाकू विमान उड़ाए। बाद में इस बारे में जानकारी देते हुए चीन की वामपंथी सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने कहा कि ताइवान के पास लड़ाकू विमानों की ड्रिल कोई चेतावनी देने के लिए नहीं थी, बल्कि यह पूरी क़वायद ताइवान पर कब्ज़ा करने के लिए एक रिहर्सल थी।
हालांकि, चीन और ताइवान के बीच काफी लम्बे समय से तनाव का मौहाल है, और दोनों ही देशों के बीच कई बार युद्ध होते-होते बचा है। लेकिन, चीन अब ताइवान से इतना इसलिए चिढ़ रहा है क्योंकि अब अमेरिका खुलकर ताइवान के समर्थन में आ गया है। ताइवान के साथ अमेरिका की घनिष्ठता इतनी ज़्यादा बढ़ गई है कि अमेरिका ने अपने तीन विमानवाहक पोत, दक्षिण चीन सागर में ताइवान की अप्रत्यक्ष रूप से सुरक्षा के लिए भेज दिए हैं।
दरअसल, चीन की वामपंथी सरकार जानती है कि दक्षिण चीन सागर में उसके द्वारा किए जा रहे अतिक्रमण को अमेरिका से चुनौती मिल रही है। वहीं, चीन की वामपंथी सरकार यह भी जानती है कि अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान, दक्षिण कोरिया और ताइवान का गठबंधन दक्षिण चीन सागर में उसके पूरे मंसूबों पर पानी फेर सकता है। ऐसे में चीन लगातार ताइवान को धमकी दे रहा है कि वो अमेरिका से अपने संबंधों को सीमित ही रखे।
इधर, ताइवान को धमकी देते हुए ग्लोबल टाइम्स ने अपनी वेबसाइट में लिखा है, "हालांकि, चीनी सेना अब भी संयमित है। लेकिन, जब भी अमेरिका का कोई उच्च अधिकारी ताइवान जाता है, तो चीनी सेना के युद्धक विमान 'एक क़दम' और आगे बढ़ते हैं।" इतना ही नहीं, ग्लोबल टाइम्स का स्पष्ट कहना है, "बस एक राजनीतिक कारण की तलाश है, जिससे ताइवान की स्वतंत्र शक्ति को हमेशा के लिए ख़त्म किया जा सके। वहीं, यदि ताइवान के अधिकारी आक्रामक रुख बनाए रखेंगे, तो ऐसी स्थिति निश्चित तौर से आ ही जाएगी।"
साफ है कि चीन को अमेरिका और ताइवान के गठजोड़ से सबसे बड़ी आपत्ति है। वहीं, ताइवान को धमकी देते हुए चीन का कहना है कि चीनी सेना के युद्धक विमान, ताइवान पर कब्ज़ा करने के लिए तैयार हैं। इतना ही नहीं, चीन का तो यह भी कहना है कि यदि अमेरिका और ताइवान दोनों मिलकर चीन को उकसाते रहे, तो निश्चित तौर से युद्ध होगा।
ख़ैर, हॉन्ग कॉन्ग में अपनी दादागिरी दिखाने में सफल रहने के बाद चीन अति आत्मविश्वास में है। लेकिन, LAC पर भारत से बराबरी की टक्कर मिलने के बाद चीन, दुनिया को यह बताना चाहता है कि वो एक कमज़ोर देश नहीं है; इसलिए, चीन धमकी दे रहा है कि वो ताइवान पर कब्ज़ा कर सकता है।
लेकिन, ऐसा लगता है कि चीन, ताइवान को कमज़ोर समझ कर बड़ी ग़लती कर रहा है। क्योंकि यदि चीन ने ताइवान पर कब्ज़ा करने की कोशिश की, तो चीन को अमेरिका के प्रतिरोध का सामान करना होगा। वहीं, इस दौरान यदि अमेरिका को कुछ भी क्षति हुई, तो NATO इस युद्ध में उतर सकता है, और फिर तीसरे विश्व युद्ध की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है।