कोरोना वायरस के ख़िलाफ़ जारी जंग में वैज्ञानिकों के सामने बढ़ी चुनौतियां
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रिसर्च जा दावा: कोरोना वायरस से ठीक हो चुके 14 प्रतिशत मरीज़ फिर से हो सकते हैं संक्रमित!
SEP 21 (WTN) - जैसा कि आप जानते ही हैं कि चीन के वुहान शहर से फैली कोरोना वायरस संक्रमण बीमारी (COVID-19) इस समय पूरी दुनिया के सामने एक सबसे बड़ी चुनौती है। इस महामारी की भयावहता का अंदाज़ा आप इस बात से लगा सकते हैं कि इस लेख को लिखे जाने तक, कोरोना वायरस संक्रमण से अभी तक पूरी दुनिया में क़रीब 9,65,068 लोग मारे जा चुके हैं।
वहीं, जहां तक भारत की बात है, तो भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले देश में कोरोना वायरस के हर दिन क़रीब 90 हज़ार से ज़्यादा मामले सामने आ रहे हैं। हालांकि, रिकवर होने वाले मरीज़ों की तादात भी बढ़ रही है, लेकिन फिर भी यह हक़ीकत है कि कोरोना वायरस से काफी संख्या में लोगों की मौत भी हो रही है।
हालांकि, कोरोना वायरस के लिए एक प्रामाणिक वैक्सीन बनाने के काम में पूरी दुनिया के वैज्ञानिक दिन-रात मेहनत कर रहे हैं, लेकिन कोरोना वायरस के म्यूटेशन और अन्य कारणों से अभी तक इस दिशा में कोई भी ठोस सफलता हासिल नहीं हो सकी है। लेकिन अब, कोरोना वायरस संक्रमण से ठीक हो चुके कुछ मरीज़ों में फिर से कोरोना वायरस संक्रमण की पुष्टि होने से वैज्ञानिक और डॉक्टर्स चिंता में आ गए हैं।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कोरोना वायरस से दोबारा संक्रमित होने का सबसे पहला मामला हांगकांग में देखा गया था, लेकिन अब भारत में भी इस तरह के मामले सामने आने से कोरोना वायरस के ख़िलाफ़ जारी जंग में चुनौतियां बढ़ गईं हैं। जानकारी के लिए बता दें कि IGIB (Institute of Genomics and Integrative Biology), दिल्ली की ओर से कोरोना वायरस के बदलते रूप को लेकर जो रिसर्च की गई है, उसके मुताबिक ग्रेटर नोएडा के एक अस्पताल के हेल्थकेयर वर्कर्स और मुंबई के नायर हॉस्पिटल और हिंदुजा अस्पताल में कुछ हेल्थकेयर वर्कर्स में एक बार फिर से कोरोना वायरस संक्रमण की पुष्टि हुई है।
इधर, GIMS (Government Institute of Medical Sciences) के वैज्ञानिकों के अनुसार, कोरोना वायरस संक्रमण से एक बार फिर से संक्रमित होने का ख़तरा इसलिए ज़्यादा बढ़ जाता है क्योंकि इन हेल्थकेयर वर्कर्स की जांच में जो कोरोना वायरस के संक्रमण मिले हैं वह पहले वाले कोरोना वायरस से बिल्कुल अलग हैं। साफ है कि इसके आधार पर कहा जा सकता है कि अब कोरोना वायरस का नया परिवर्तित रूप भारत में सामने आया है।
लेकिन, ख़तरा इस बात का है कि जांच में यह बात सामने आई है कि कोरोना वायरस के इस नए स्वरूप पर कोरोना वायरस से ठीक हो चुके मरीज़ के शरीर में बनी एंटीबॉडी का कोई फर्क नहीं पड़ता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कोरोना वायरस संक्रमण से संक्रमित मरीज़ को रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली डोज दी जाती हैं जिसके बाद मरीज़ का शरीर, कोरोना वायरस संक्रमण से मुकाबला करने में काफी हद तक तैयार हो जाता है।
लेकिन, शोध में पाया गया है कि जैसे-जैसे मरीज़ की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर पड़ती जाती है उसके शरीर में मौजूद कोरोना वायरस उसे फिर से संक्रमित कर देते हैं। डॉक्टर्स के अनुसार, कोरोना वायरस संक्रमण से ठीक हो चुके क़रीब 14 प्रतिशत मरीज़ों में फिर से कोरोना वायरस से संक्रमित होने का ख़तरा हो सकता है।
कोरोना वायरस के नए रूप से दोबारा संक्रमित होने के मामले सामने आने पर वैज्ञानिकों का कहना है कि अब कोरोना वायरस पर और भी ज़्यादा अध्ययन और रिसर्च करने की ज़रूरत है। वहीं, कोरोना वायरस पर रिसर्च कर रहे वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने वाले वैज्ञानिकों को भी कोरोना वायरस के इन परिवर्तनों को ध्यान में रखते हुए है ही वैक्सीन पर शोध करने की सलाह दी है।
ख़ैर, अब जबकि कोरोना वायरस संक्रमण के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं और अभी तक इसकी कोई भी वैक्सीन भारत में उपलब्ध नहीं है, तो समय की ज़रूरत है कि आप ख़ुद का पूरा ध्यान रखें। वहीं, घर से बाहर निकलते समय मास्क पहनें और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें। इतना ही नहीं, डॉक्टर की सलाह से योग, प्रणायाम और आयुर्वेद के ज़रिए ख़ुद की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएं। साथ ही, विटामिन-डी की शरीर में आपूर्ति के लिए कम से कम 20 मिनिट तक सूर्य की रोशनी के प्रत्यक्ष सम्पर्क में रहें।