चीन को काउंटर करने NATO की तर्ज़ पर एक 'सैन्य संगठन' बनाने की कवायद तेज़

QUAD के ज़रिए चीन को 'कूटनीतिक मात' देने की तैयारी में प्रधानमंत्री मोदी
SEP 22 (WTN) - वामपंथी शासन व्यवस्था वाला देश चीन इस समय भारत के लिए एक सबसे बड़ा सिर दर्द और एक सबसे बड़ा ख़तरा है। जैसा कि आप जानते ही हैं कि पूर्वी लद्दाख में LAC पर तनाव के हालात हैं। चीन के सैनिक लगातार LAC पर युद्ध के हालात पैदा कर कर रहे हैं। हालांकि, भारतीय सैनिक, चीन के सैनिकों को मुंह तोड़ जवाब दे रहे हैं। लेकिन, यदि चीन के साथ भारत का युद्ध होता है, तो पूरी आशंका है कि पाकिस्तान भी मौका देखकर भारत पर हमला कर सकता है। और यदि ऐसा होता है, तो ऐसी परिस्थिति भारत के लिए काफी चुनौतीपूर्ण होगी। इसी कारण से अब माना जाने लगा है कि चीन के ख़तरे से निपटने के लिए भारत को NATO जैसे एक सैन्य संगठन की ज़रूरत एशिया में है।
दरअसल, भारत ही नहीं, बल्कि एशिया के कई देश, चीन की बढ़ती दादागिरी से परेशान हो चुके हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि चीन साउथ चाइना सी, हांगकांग और ताइवान में जो कर रहा है वो साफ तौर पर उसकी दादागिरी ही है। ऐसे में जबकि चीन एशिया में अपना प्रभुत्व स्थापित करना चाहता है, तो इस चुनौती से निपटने के लिए भारत ने अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ मिलकर एक ऐसा संगठन बनाने की ठानी है जो अति महत्वाकांक्षी चीन को सबक़ सिखा सके।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इंडो-पैसिफ़िक क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव का मुक़ाबला करने, और उसका जवाब देने के लिए भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया ज़्यादा से ज़्यादा सैन्य और व्यापारिक सहयोग करने के उद्देश्य से एक संगठन बनाने की प्रक्रिया में हैं। वैसे, फ़िलहाल इस संगठन को QUAD (Quadrilateral Security Dialogue) कहा जा रहा है। जानकारी के लिए बता दें कि ये चारों देश QUAD के तहत आपसी साझेदार हैं। हालांकि, QUAD फिलहाल एक अनौपचारिक संगठन ही है।
दरअसल, QUAD में सबसे ज़्यादा दिलचस्पी अमेरिका को है क्योंकि अब चीन सीधे-सीधे अमेरिका के वर्चस्व को न केवल चुनौती दे रहा है, बल्कि ताइवान के मुद्दे पर अमेरिका को युद्ध तक की धमकी दे चुका है। वहीं, चीन अपनी महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड आर्थिक परियोजना के आड़ में ज़्यादातर दक्षिण एशियाई देशों में अपने सैन्य अड्डे बना रहा है जो कि अमेरिका के लिए चिन्ता का सबसे बड़ा कारण है। यही कारण है कि ट्रम्प प्रशासन, QUAD के रूप में एशिया में एक ऐसी व्यवस्था स्थापित करना चाहता है जिससे चीन को हर स्तर पर काउंटर किया जा सके।
वैसे आपकी जानकारी के लिए बता दें कि QUAD की क़वायद आज की नहीं है। दरअसल, नवंबर 2017 में भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान ने चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए लंबे समय से लंबित QUAD गठबंधन के बारे में विचार किया था। वैसे फिलहाल NATO की तरह QUAD कोई सैन्य संगठन नहीं है, और QUAD का उद्देश्य भारत-प्रशांत क्षेत्र के समुद्री मार्गों को बिना किसी दबाव और रोक-टोक के चालू रखना है। अब जबकि चीन की दादागिरी बढ़ती ही जा रही है, तो ऐसे में भारत के लिए QUAD काफी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है; इसलिए, जानकारी के अनुसार, अक्तूबर महीने के आखिरी तक QUAD को लेकर नई दिल्ली में एक बैठक आयोजित हो सकती है।
जैसा कि आप जानते ही हैं कि चीन, साउथ चाइना सी के क़रीब 85 प्रतिशत हिस्से पर अपना दावा करता है। इतना ही नहीं, चीन ने यहां पर कई कृत्रिम द्वीप भी बना लिए हैं। दरअसल, चीन इस इलाके से होने वाले समुद्री व्यापार पर अपना नियंत्रण स्थापित करना चाहता है। ऐसे में ऑस्ट्रेलिया और जापान के लिए यह ख़तरे की घंटी है क्योंकि इन दोनों ही देशों का ज़्यादातर व्यापार इसी इलाके से होता है। ऐसे में इंडो-पैसिफ़िक क्षेत्र में अपनी स्थिति मज़बूत करने के उद्देश्य से अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया को भारत के साथ मिलकर NATO जैसे एक संगठन की ज़रूरत महसूस हो रही है, जो कि महत्वाकांक्षी चीन को कड़ा उत्तर दे सके।
लेकिन, चीन सरकार के मुखपत्र ''द ग्लोबल टाइम्स' के अनुसार, अभी चीन के भारत और जापान के साथ संबंधों में इतनी गिरावट नहीं आई है कि वे NATO की तरह QUAD संगठन बनाएं। चीन का मानना है कि भारत के साथ उसके सीमा विवाद सुलझ रहे हैं, वहीं जापान को COVID-19 के प्रकोप के बाद अर्थव्यवस्था के सुधार के लिए चीन की ज़रूरत पड़ेगी। लेकिन, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का साफ कहना है कि एशिया को भी NATO जैसे एक संगठन की ज़रूरत है। ख़ैर, QUAD अभी काग़ज़ों और संभावनाओं में है। लेकिन, यदि QUAD हक़ीकत में एक सैन्य संगठन के रूप में अस्तित्व में आता है, तो यह भारत की कूटनीति और विश्व राजनीति में एक बहुत बड़ा परिवर्तन होगा।