कहीं मोदी सरकार के 'इस फैसले' से बढ़ न जाए जमाखोरी और कालाबाज़ारी?

अब आलू, प्याज़ और दाल आदि के स्टॉक और दाम पर सरकार का नियंत्रण ख़त्म!
SEP 22 (WTN) - प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार हमेशा से ही ऐतिहासिक और क्रांतिकारी निर्णयों के लिए पहचानी जाती है। नोटबन्दी से लेकर GST, और अनुच्छेद 370 से लेकर CAA, यह ऐसे फैसले हैं जो कि मोदी सरकार की बड़े और कठिन निर्णय लेने की क्षमता को बताते हैं। इसी कड़ी में, मोदी सरकार के एक और ऐतिहासिक फैसले को संसद के दोनों सदनों से मंज़ूरी मिल गई है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि लोकसभा के बाद अब राज्यसभा से भी आवश्यक वस्तु (संशोधन) बिल (Essential Commodities Act) पास हो गया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस बिल के क़ानून बनने के बाद आप पर क्या असर पड़ेगा? यदि आप नहीं जानते हैं, तो हम आपको विस्तार से बताते हैं।
दरअसल, आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन के बाद अब अनाज, दलहन, आलू, प्याज़ और खाद्य तेल जैसी आवश्यक वस्तुएं, कृषि खाद्य सामग्री एक्ट से बाहर हो गई हैं। यानि कि अब इन सभी कृषि खाद्य सामग्री पर सरकार का नियंत्रण नहीं रहेगा, और किसान अपने हिसाब से इनके मूल्य तय कर इनकी बिक्री कर सकेंगे। हालांकि, समय-समय पर सरकार इसकी समीक्षा करती रहेगी, और ज़रूरत पड़ी तो नियमों को सख़्त भी किया जा सकेगा।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस एक्ट के तहत जो भी वस्तुएं आती हैं उनकी बिक्री, आपूर्ति और वितरण को केन्द्र सरकार अभी तक नियंत्रित करती आई है। इतना ही नहीं, इन वस्तुओं के अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) तक को सरकार ही तय करती है। दरअसल, माना जाता रहा है कि कुछ वस्तुएं ऐसी होती हैं जो कि मानव जीवन निर्वहन के लिए बेहद ज़रूरी हैं, और इन वस्तुओं की कालाबाज़ारी और जमाखोरी न हो, इसके लिए इन वस्तुओं को आवश्यक वस्तुओं की लिस्ट में शामिल किया जाता है।
इस एक्ट के तहत केन्द्र सरकार को यह शक्ति है कि यदि केन्द्र सरकार को यह पता चल जाए कि किसी एक वस्तु की सप्लाई, मार्केट में मांग के अनुसार काफी कम है, और इसी कारण से उसकी क़ीमत लगातार बढ़ रही है, तो एक निश्चित समय के लिए सरकार इस एक्ट को उस वस्तु के उत्पादन, स्टॉक, बिक्री और MRP पर लागू कर देती है।
लेकिन, मोदी सरकार के इस फैसले का कांग्रेस समेत विपक्ष ने काफी विरोध किया है। विपक्ष का तर्क है कि इस बिल के पास होने से निजी निवेशकों पर अब कोई नियंत्रण नहीं रहेगा, और एक बार फिर से कालाबाज़ारी और जमाखोरी बढ़ेगी, और ऐसा होने से आवश्यक वस्तुओं के दाम बढ़ जाएंगे। लेकिन वहीं सरकार का तर्क कुछ और ही है। सरकार का मानना है कि आवश्यक वस्तु अधिनियम में बदलाव से कृषि क्षेत्र की पूरी आपूर्ति श्रृंखला को मज़बूत बनाया जा सकेगा। वहीं, किसान अपनी उपज के दाम तय करने के लिए स्वतंत्र होगा, और कृषि क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा मिलेगा।
हालांकि, सरकार का तर्क उनके दृष्टिकोण से सही हो सकता है। लेकिन, यदि सरकार का नियंत्रण नहीं रहा, तो आवश्यक वस्तुओं की जमाखोरी और कालाबाज़ारी का ख़तरा हमेशा रहेगा। वहीं यदि ऐसा होता है, तो इससे आवश्यक वस्तुओं के दाम बढ़ सकते हैं। ख़ैर, यह सभी अभी आशंकाएं हैं। हो सकता है कि सरकार के इस फैसले से किसानों को उनके उत्पादन का उचित दाम मिले, वहीं इस क्षेत्र में निवेश और प्रतिस्पर्धा बढ़ने में उपभोक्ताओं को सही वस्तु सही दाम पर मिले।