जानिए नई स्क्रैपेज पॉलिसी से आपको क्या हो सकते हैं फ़ायदे और नुकसान?
Tuesday - September 24, 2019 1:27 pm ,
Category : WTN HINDI

गाड़ियों के लिए आ रही नई स्क्रैपेज पॉलिसी
वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए नई स्क्रैपेज पॉलिसी में हो सकते हैं कुछ ‘कठोर’ नियम!
SEP 24 (WTN) – वायु प्रदूषण इस समय देश की बड़ी समस्याओं में से एक है। वायु प्रदूषण को कम करने के लिए मोदी सरकार काफ़ी प्रयास कर रही है। वायु प्रदूषण की कई वजहें हैं, जिनमें से एक प्रमुख वजह है गाड़ियों से निकलने वाला धुंआ। गाड़ियों का सही रखरखाव नहीं होने से वायु प्रदूषण फैलना आम बात है। गाड़ियों से फैलने वाले प्रदूषण को कम जब किया जा सकता है, जब प्रदूषण फैलाने वाली पुरानी गाड़ियों को चलाने के लिए लोगों को हतोत्साहित किया जाए।
इसी कड़ी में केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय ने देश में लागू होने वाली नई स्क्रैपेज पॉलिसी का ड्रॉफ्ट तैयार कर लिया है। मीडिया से मिली जानकारी के मुताबिक़, सरकार जल्द ही नई स्क्रैपेज पॉलिसी का ऐलान कर सकती है। आख़िर स्क्रैपेज पॉलिसी से आपको क्या फ़ायदा या नुकसान हो सकता है? आइये इसके बारे में आपको विस्तार से जानकारी देते हैं।
दरअसल, अब तक स्क्रैपेज की प्रक्रिया काफ़ी जटिल थी जिसे अब आसान करने पर ध्यान दिया गया है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अभी तक RTO से जो एनओसी लेना मुश्किल काम था, उसी एनओसी को आसानी से इश्यू कराने के लिए सड़क परिवहन मंत्रालय जल्द ही एक स्टैण्डर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर लाने जा रहा है। साथ ही स्क्रैपेज सेन्टर के लिए भी एक स्टैण्डर्ड तय किया जाएगा।
नई स्क्रैपेज पॉलिसी में राज्यों से कहा गया है कि वे नई और पुरानी गाड़ियों के लिए अलग-अलग रोड टैक्स लगाएं। जानकारी के मुताबिक़, स्क्रैप्ड गाडियों को रोड टैक्स पर छूट दी जा सकती है। नई स्क्रैपेज पॉलिसी के तहत 15 साल से पुरानी गाड़ियों को हर 6 महीने में फिटनेस सर्टिफिकेट लेने के लिए कहा जाएगा, और यह नियम 1 जुलाई 2020 से लागू हो जाएगा।
जैसा कि आप जानते हैं कि पुरानी गाडियों से बहुत ज़्यादा प्रदूषण फ़ैलता है, इसलिए 15 साल पुरानी गाड़ियों की ख़रीदी हतोत्साहित करने के लिए उनके रजिस्ट्रेशन के रिनुअल्स पर 20 गुना ज़्यादा फ़ीस ली जाएगी। जैसा कि अभी छोटी प्राइवेट कार के रजिस्ट्रेशन के रिनुअल्स पर 600 रुपये फीस लगती है, लेकिन नई स्क्रैपेज पॉलिसी में फीस 15,000 रुपये प्रस्तावित है।
वहीं 7.5 टन से कम छोटी कमर्शियल गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन रिनुअल्स की फीस 1,000 रुपये है, जो कि नई स्क्रैपेज पॉलिसी में 20,000 रुपये प्रस्तावित है। वहीं अभी मिडियम और हैवी कमर्शियल गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन रिनुअल्स की फीस अभी 1,500 रुपये है, जबकि नई स्क्रैपेज पॉलिसी में यह 40,000 रुपये प्रस्तावित है।
सरकार ने नई स्क्रैपेज पॉलिसी के तहत अब स्क्रैपेज सर्टिफिकेट को ट्रांसफरेबल रखने का प्रस्ताव रखा है। यानी कि यदि आप अपनी पुरानी गाड़ी को स्क्रैप करते है और आप नई गाड़ी नहीं खरीदते हैं, लेकिन यदि आप अपनी पुरानी गाड़ी को बेचते हैं तो उसकी मॉनिटरी का फ़ायदा आप उठा सकते हैं। वहीं नई नीति के तहत यदि 15 साल पुरानी गाड़ी का रजिस्ट्रेशन नहीं कराया जाता है, तो इसे मोटर व्हीकल नहीं माना जाएगा। वहीं नई नीति में शहरी इलाकों में प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए पुरानी गाड़ियों की शहर में एंट्री पर रोक लगाने की बात कही गई है।
जानकारी के मुताबिक़, नई स्क्रैपेज पॉलिसी में 10 साल पुरानी कमर्शियल गाड़ी बेचने और उसके बाद नई गाड़ी ख़रीदने पर 50,000 रूपये तक की छूट प्रस्तावित है। वहीं 10 साल पुरानी पैसेंजर गाड़ी बेचने के बाद नई गाड़ी ख़रीदने पर 20,000 रुपये तक की छूट प्रस्तावित है। वहीं 7 साल पुरानी दो-व्हीलर और थ्री-व्हीलर गाड़ी बेचने के बाद नई गाड़ी ख़रीदने पर 5,000 रुपये तक की छूट मिल सकती है।
नई स्क्रैपेज पॉलिसी के ड्रॉफ्ट में पुरानी गाड़ियों पर ज़्यादा फिटनेस सर्टिफिकेट फीस रखने का प्रस्ताव है। वहीं नई नीति के अनुसार अब पुरानी गाड़ियों की स्क्रैपिंग के लिए NOC लेना आसान होगा। यदि पुरानी गाड़ी को स्क्रैप्ड किया गया है तो नई गाड़ी ख़रीदते समय ना केवल ज़्यादा छूट मिलेगी बल्कि नई गाड़ी ख़रीदने पर रजिस्ट्रेशन फीस भी नहीं देना पड़ेगी।
यानी कि साफ़ ज़ाहिर है कि वायु प्रदूषण को लेकर चिन्तित मोदी सरकार हर वो क़दम उठा रही है, जिससे इस पर नियंत्रण लगाया जा सके। इसके लिए सरकार पुरानी गाड़ियों को स्क्रैप्ड करने के लिए जहां लोगों को प्रोत्साहित कर रही है, वहीं प्रदूषण फैलाने वाली पुरानी गाडियों की बिक्री और ख़रीदी कम से कम हो, इसके लिए लोगों को हतोत्साहित कर रही है।
SEP 24 (WTN) – वायु प्रदूषण इस समय देश की बड़ी समस्याओं में से एक है। वायु प्रदूषण को कम करने के लिए मोदी सरकार काफ़ी प्रयास कर रही है। वायु प्रदूषण की कई वजहें हैं, जिनमें से एक प्रमुख वजह है गाड़ियों से निकलने वाला धुंआ। गाड़ियों का सही रखरखाव नहीं होने से वायु प्रदूषण फैलना आम बात है। गाड़ियों से फैलने वाले प्रदूषण को कम जब किया जा सकता है, जब प्रदूषण फैलाने वाली पुरानी गाड़ियों को चलाने के लिए लोगों को हतोत्साहित किया जाए।
इसी कड़ी में केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय ने देश में लागू होने वाली नई स्क्रैपेज पॉलिसी का ड्रॉफ्ट तैयार कर लिया है। मीडिया से मिली जानकारी के मुताबिक़, सरकार जल्द ही नई स्क्रैपेज पॉलिसी का ऐलान कर सकती है। आख़िर स्क्रैपेज पॉलिसी से आपको क्या फ़ायदा या नुकसान हो सकता है? आइये इसके बारे में आपको विस्तार से जानकारी देते हैं।
दरअसल, अब तक स्क्रैपेज की प्रक्रिया काफ़ी जटिल थी जिसे अब आसान करने पर ध्यान दिया गया है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अभी तक RTO से जो एनओसी लेना मुश्किल काम था, उसी एनओसी को आसानी से इश्यू कराने के लिए सड़क परिवहन मंत्रालय जल्द ही एक स्टैण्डर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर लाने जा रहा है। साथ ही स्क्रैपेज सेन्टर के लिए भी एक स्टैण्डर्ड तय किया जाएगा।
नई स्क्रैपेज पॉलिसी में राज्यों से कहा गया है कि वे नई और पुरानी गाड़ियों के लिए अलग-अलग रोड टैक्स लगाएं। जानकारी के मुताबिक़, स्क्रैप्ड गाडियों को रोड टैक्स पर छूट दी जा सकती है। नई स्क्रैपेज पॉलिसी के तहत 15 साल से पुरानी गाड़ियों को हर 6 महीने में फिटनेस सर्टिफिकेट लेने के लिए कहा जाएगा, और यह नियम 1 जुलाई 2020 से लागू हो जाएगा।
जैसा कि आप जानते हैं कि पुरानी गाडियों से बहुत ज़्यादा प्रदूषण फ़ैलता है, इसलिए 15 साल पुरानी गाड़ियों की ख़रीदी हतोत्साहित करने के लिए उनके रजिस्ट्रेशन के रिनुअल्स पर 20 गुना ज़्यादा फ़ीस ली जाएगी। जैसा कि अभी छोटी प्राइवेट कार के रजिस्ट्रेशन के रिनुअल्स पर 600 रुपये फीस लगती है, लेकिन नई स्क्रैपेज पॉलिसी में फीस 15,000 रुपये प्रस्तावित है।
वहीं 7.5 टन से कम छोटी कमर्शियल गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन रिनुअल्स की फीस 1,000 रुपये है, जो कि नई स्क्रैपेज पॉलिसी में 20,000 रुपये प्रस्तावित है। वहीं अभी मिडियम और हैवी कमर्शियल गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन रिनुअल्स की फीस अभी 1,500 रुपये है, जबकि नई स्क्रैपेज पॉलिसी में यह 40,000 रुपये प्रस्तावित है।
सरकार ने नई स्क्रैपेज पॉलिसी के तहत अब स्क्रैपेज सर्टिफिकेट को ट्रांसफरेबल रखने का प्रस्ताव रखा है। यानी कि यदि आप अपनी पुरानी गाड़ी को स्क्रैप करते है और आप नई गाड़ी नहीं खरीदते हैं, लेकिन यदि आप अपनी पुरानी गाड़ी को बेचते हैं तो उसकी मॉनिटरी का फ़ायदा आप उठा सकते हैं। वहीं नई नीति के तहत यदि 15 साल पुरानी गाड़ी का रजिस्ट्रेशन नहीं कराया जाता है, तो इसे मोटर व्हीकल नहीं माना जाएगा। वहीं नई नीति में शहरी इलाकों में प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए पुरानी गाड़ियों की शहर में एंट्री पर रोक लगाने की बात कही गई है।
जानकारी के मुताबिक़, नई स्क्रैपेज पॉलिसी में 10 साल पुरानी कमर्शियल गाड़ी बेचने और उसके बाद नई गाड़ी ख़रीदने पर 50,000 रूपये तक की छूट प्रस्तावित है। वहीं 10 साल पुरानी पैसेंजर गाड़ी बेचने के बाद नई गाड़ी ख़रीदने पर 20,000 रुपये तक की छूट प्रस्तावित है। वहीं 7 साल पुरानी दो-व्हीलर और थ्री-व्हीलर गाड़ी बेचने के बाद नई गाड़ी ख़रीदने पर 5,000 रुपये तक की छूट मिल सकती है।
नई स्क्रैपेज पॉलिसी के ड्रॉफ्ट में पुरानी गाड़ियों पर ज़्यादा फिटनेस सर्टिफिकेट फीस रखने का प्रस्ताव है। वहीं नई नीति के अनुसार अब पुरानी गाड़ियों की स्क्रैपिंग के लिए NOC लेना आसान होगा। यदि पुरानी गाड़ी को स्क्रैप्ड किया गया है तो नई गाड़ी ख़रीदते समय ना केवल ज़्यादा छूट मिलेगी बल्कि नई गाड़ी ख़रीदने पर रजिस्ट्रेशन फीस भी नहीं देना पड़ेगी।
यानी कि साफ़ ज़ाहिर है कि वायु प्रदूषण को लेकर चिन्तित मोदी सरकार हर वो क़दम उठा रही है, जिससे इस पर नियंत्रण लगाया जा सके। इसके लिए सरकार पुरानी गाड़ियों को स्क्रैप्ड करने के लिए जहां लोगों को प्रोत्साहित कर रही है, वहीं प्रदूषण फैलाने वाली पुरानी गाडियों की बिक्री और ख़रीदी कम से कम हो, इसके लिए लोगों को हतोत्साहित कर रही है।