जानिए उन मन्दिरों के बारे में जहां पुरूष नहीं कर सकते पूजा!
Thursday - November 14, 2019 4:06 pm ,
Category : WTN HINDI

कई मन्दिरों में पुरूषों का प्रवेश है वर्जित
देश के कई मन्दिरों में पुरूषों को नहीं है अन्दर जाने की अनुमति!
NOV 14 (WTN) – सबरीमाला मन्दिर में महिलाओं के प्रवेश सम्बन्धित केस में पुनर्विचार याचिका के मामलों को सुप्रीम कोर्ट ने सात जजों की बेंच के पास भेज दिया है। जैसा कि आप जानते हैं कि सबरीमाला मन्दिर में महिलाओं के प्रवेश पर विवाद चल रहा है। सबरीमला समेत भारत में ऐसी कई धार्मिक जगहें हैं, जहां पर महिलाओं का प्रवेश प्रतिबन्धित है और उन्हें अन्दर प्रवेश करने की अनुमति नहीं है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारे देश में भारत में ऐसे कई मन्दिर भी हैं, जहां पर पुरुषों को प्रवेश की अनुमति नहीं है और अगर मन्दिर में प्रवेश की अनुमति है भी तो सिर्फ़ कुछ विशेष दिनों के लिए। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि देश में कई ऐसे मन्दिर हैं, जहां पर पुरुषों के प्रवेश पर प्रतिबन्ध है।
केरल के प्रसिद्ध अट्टुकल मन्दिर में सिर्फ़ महिलाएं ही पूजा कर सकती हैं। इस मन्दिर में पुरुषों को प्रवेश की अनुमति नहीं है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पोंगल के त्योहार में यहां पर 30 लाख महिलाएं आईं थी, जिसके कारण इस मन्दिर का नाम गिनीज़ वर्ल्ड बुक में भी शामिल हो गया है। सिर्फ़ महिलाओं के प्रवेश वाले इस मन्दिर में हर साल लाखों की संख्या में महिलाएं दर्शन के लिए आती हैं।
कन्याकुमारी के भगवती मां मन्दिर में भगवती के कन्या रूप की पूजा की जाती है। इस मन्दिर के नियम इतने कठोर हैं कि पुरुष इस मन्दिर के परिसर तक में नहीं जा सकते हैं। सिर्फ़ संन्यासी पुरूष ही मन्दिर के द्वार तक जा सकते हैं। इस मन्दिर में अन्दर जाने की अनुमति सिर्फ़ महिलाओं को ही है।
वहीं नासिक स्थित त्रयम्बकेश्वर मन्दिर में एक सीमा के बाद महिलाओं को जाने की अनुमति नहीं है। लेकिन पुरूष ज़रूर कुछ आगे तक जा सकते थे। जब इस मुद्दे पर विवाद खड़ा हुआ तो यह मामला बाम्बे हाईकोर्ट में पहुंचा, जिसके बाद अब त्रयम्बकेश्वर मन्दिर में पुरुषों के भी आन्तरिक परकोटे में प्रवेश की अनुमति पर पाबंदी लगा दी गई है।
पुष्कर में स्थित ब्रह्मा जी का एकमात्र मन्दिर पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। लेकिन इस विश्व प्रसिद्ध मन्दिर में विवाहित पुरुषों को प्रवेश की अनुमति नहीं है। पुराणों के अनुसार, भगवान ब्रह्मा ने पुष्कर झील में पत्नी देवी सरस्वती के साथ एक यज्ञ किया था। लेकिन सरस्वती किसी बात से नाराज़ हो गईं और उन्होंने इस मन्दिर को शाप दिया कि किसी भी विवाहित व्यक्ति को इस मन्दिर के आन्तरिक परकोटे में जाने की अनुमति नहीं है, और यदि कोई विवाहित पुरूष आन्तरिक परकोटे में प्रवेश करता है तो उसके वैवाहिक जीवन में समस्या उत्पन्न होगी। इसी शाप के कारण विश्व प्रसिद्ध ब्रह्मा मन्दिर में अविवाहित पुरूष तो जा सकते हैं, लेकिन विवाहित पुरुषों का मन्दिर में प्रवेश करना वर्जित है।
जैसा कि आप जानते हैं कि पूरे भारत में कई जगहों पर सन्तोषी माता के मन्दिर देखे जा सकते हैं। प्रचलित मान्यताओं के अनुसार सन्तोषी माता का व्रत महिलाएं और कुंवारी लड़कियां ही रखती हैं। इस समय उन्हें खट्टा खाने की अनुमति नहीं होती है। वैसे पुरूष भी सन्तोषी माता की पूजा तो कर सकते हैं, लेकिन मन्दिर में उनका प्रवेश वर्जित होता है।
बिहार के मुजफ़्फ़रपुर में एक माता मन्दिर ऐसा है जहां पर तय समय में पुरुषों को परिसर में प्रवेश करने से मना किया जाता है। इस मन्दिर के क़ानून इतने कड़े हैं कि मन्दिर के पण्डितों को भी इस तय समय में मन्दिर में प्रवेश नहीं करने दिया जाता है।
असम के कामरूप में स्थित कामाख्या मन्दिर केवल महिलाओं को मासिक धर्म चक्र के दौरान परिसर में प्रवेश की अनुमति देता है। इस मन्दिर में केवल महिला पुजारी या संन्यासी ही मंदिर की सेवा करते हैं। इस मन्दिर में मां सती के मासिक धर्म को बहुत शुभ माना जाता है और इस भक्तों को वितरित किया जाता है।
केरल के छक्कूलाथुकावु मन्दिर में भी कुछ विशेष दिनों के लिए पुरूषों का प्रवेश वर्जित है। यह मन्दिर मां भगवती का मन्दिर है और यहां पर दर्शन के लिए लाखों की तादात में भक्त हर साल जुटते हैं। इस मन्दिर के पुरुष पण्डित दिसम्बर के महीने में महिलाओं के लिए दस दिन का उपवास रखते हैं और पहले शुक्रवार को महिला श्रद्धालुओं के पैर धोते हैं। इस दिन को धनु कहा जाता है और नारी पूजा के दिनों में पुरुषों का मन्दिर में प्रवेश वर्जित है।
NOV 14 (WTN) – सबरीमाला मन्दिर में महिलाओं के प्रवेश सम्बन्धित केस में पुनर्विचार याचिका के मामलों को सुप्रीम कोर्ट ने सात जजों की बेंच के पास भेज दिया है। जैसा कि आप जानते हैं कि सबरीमाला मन्दिर में महिलाओं के प्रवेश पर विवाद चल रहा है। सबरीमला समेत भारत में ऐसी कई धार्मिक जगहें हैं, जहां पर महिलाओं का प्रवेश प्रतिबन्धित है और उन्हें अन्दर प्रवेश करने की अनुमति नहीं है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारे देश में भारत में ऐसे कई मन्दिर भी हैं, जहां पर पुरुषों को प्रवेश की अनुमति नहीं है और अगर मन्दिर में प्रवेश की अनुमति है भी तो सिर्फ़ कुछ विशेष दिनों के लिए। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि देश में कई ऐसे मन्दिर हैं, जहां पर पुरुषों के प्रवेश पर प्रतिबन्ध है।
केरल के प्रसिद्ध अट्टुकल मन्दिर में सिर्फ़ महिलाएं ही पूजा कर सकती हैं। इस मन्दिर में पुरुषों को प्रवेश की अनुमति नहीं है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पोंगल के त्योहार में यहां पर 30 लाख महिलाएं आईं थी, जिसके कारण इस मन्दिर का नाम गिनीज़ वर्ल्ड बुक में भी शामिल हो गया है। सिर्फ़ महिलाओं के प्रवेश वाले इस मन्दिर में हर साल लाखों की संख्या में महिलाएं दर्शन के लिए आती हैं।
कन्याकुमारी के भगवती मां मन्दिर में भगवती के कन्या रूप की पूजा की जाती है। इस मन्दिर के नियम इतने कठोर हैं कि पुरुष इस मन्दिर के परिसर तक में नहीं जा सकते हैं। सिर्फ़ संन्यासी पुरूष ही मन्दिर के द्वार तक जा सकते हैं। इस मन्दिर में अन्दर जाने की अनुमति सिर्फ़ महिलाओं को ही है।
वहीं नासिक स्थित त्रयम्बकेश्वर मन्दिर में एक सीमा के बाद महिलाओं को जाने की अनुमति नहीं है। लेकिन पुरूष ज़रूर कुछ आगे तक जा सकते थे। जब इस मुद्दे पर विवाद खड़ा हुआ तो यह मामला बाम्बे हाईकोर्ट में पहुंचा, जिसके बाद अब त्रयम्बकेश्वर मन्दिर में पुरुषों के भी आन्तरिक परकोटे में प्रवेश की अनुमति पर पाबंदी लगा दी गई है।
पुष्कर में स्थित ब्रह्मा जी का एकमात्र मन्दिर पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। लेकिन इस विश्व प्रसिद्ध मन्दिर में विवाहित पुरुषों को प्रवेश की अनुमति नहीं है। पुराणों के अनुसार, भगवान ब्रह्मा ने पुष्कर झील में पत्नी देवी सरस्वती के साथ एक यज्ञ किया था। लेकिन सरस्वती किसी बात से नाराज़ हो गईं और उन्होंने इस मन्दिर को शाप दिया कि किसी भी विवाहित व्यक्ति को इस मन्दिर के आन्तरिक परकोटे में जाने की अनुमति नहीं है, और यदि कोई विवाहित पुरूष आन्तरिक परकोटे में प्रवेश करता है तो उसके वैवाहिक जीवन में समस्या उत्पन्न होगी। इसी शाप के कारण विश्व प्रसिद्ध ब्रह्मा मन्दिर में अविवाहित पुरूष तो जा सकते हैं, लेकिन विवाहित पुरुषों का मन्दिर में प्रवेश करना वर्जित है।
जैसा कि आप जानते हैं कि पूरे भारत में कई जगहों पर सन्तोषी माता के मन्दिर देखे जा सकते हैं। प्रचलित मान्यताओं के अनुसार सन्तोषी माता का व्रत महिलाएं और कुंवारी लड़कियां ही रखती हैं। इस समय उन्हें खट्टा खाने की अनुमति नहीं होती है। वैसे पुरूष भी सन्तोषी माता की पूजा तो कर सकते हैं, लेकिन मन्दिर में उनका प्रवेश वर्जित होता है।
बिहार के मुजफ़्फ़रपुर में एक माता मन्दिर ऐसा है जहां पर तय समय में पुरुषों को परिसर में प्रवेश करने से मना किया जाता है। इस मन्दिर के क़ानून इतने कड़े हैं कि मन्दिर के पण्डितों को भी इस तय समय में मन्दिर में प्रवेश नहीं करने दिया जाता है।
असम के कामरूप में स्थित कामाख्या मन्दिर केवल महिलाओं को मासिक धर्म चक्र के दौरान परिसर में प्रवेश की अनुमति देता है। इस मन्दिर में केवल महिला पुजारी या संन्यासी ही मंदिर की सेवा करते हैं। इस मन्दिर में मां सती के मासिक धर्म को बहुत शुभ माना जाता है और इस भक्तों को वितरित किया जाता है।
केरल के छक्कूलाथुकावु मन्दिर में भी कुछ विशेष दिनों के लिए पुरूषों का प्रवेश वर्जित है। यह मन्दिर मां भगवती का मन्दिर है और यहां पर दर्शन के लिए लाखों की तादात में भक्त हर साल जुटते हैं। इस मन्दिर के पुरुष पण्डित दिसम्बर के महीने में महिलाओं के लिए दस दिन का उपवास रखते हैं और पहले शुक्रवार को महिला श्रद्धालुओं के पैर धोते हैं। इस दिन को धनु कहा जाता है और नारी पूजा के दिनों में पुरुषों का मन्दिर में प्रवेश वर्जित है।