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रोड टैक्स के मामले में एक बड़ा फ़ैसला लेने की तैयारी में मोदी सरकार

Friday - January 24, 2020 3:54 pm , Category : WTN HINDI
“वन नेशन, वन रोड टैक्स” की तैयारी में मोदी सरकार
“वन नेशन, वन रोड टैक्स” की तैयारी में मोदी सरकार

पूरे देश में एकसमान रोड टैक्स के लिए मोदी सरकार को राज्यों की रज़ामंदी का इंतज़ार

JAN 24 (WTN) – जैसा कि आप जानते हैं कि जीएसटी के पहले देश में कई तरह के टैक्स थे जिनका भुगतान उपभोक्ताओं और व्यापारियों को करना पड़ता था। लेकिन मोदी सरकार ने एक जुलाई 2017 से पूरे देश में जीएसटी लागू कर दिया है, जिसके बाद उपभोक्ताओं और व्यापारियों को सिर्फ़ एक टैक्स जीएसटी का भुगतान ही करना होता है। हालांकि, जीएसटी यानी वस्तु और सेवाकर में चार टैक्स स्लैब हैं। यह टैक्स स्लैब हैं 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत। जीएसटी लागू करने के पीछे मोदी सरकार का एक ही उद्देश्य था कि पूरे देश में एकसमान टैक्स पद्धति हो।
 
बड़े और ऐतिहासिक फ़ैसले लेने के लिए मशहूर मोदी सरकार अब जल्द ही एक नया बड़ा फ़ैसला ले सकती है जिसके तहत गाड़ियों की ख़रीदी के समय पूरे देश में एकसमान रोड टैक्स लगाने की योजना है। दरअसल, मोदी सरकार यूनिफॉर्म रोड टैक्स यानी “वन नेशन, वन रोड टैक्स” लागू करने की तैयारी में है और इसके लिए राज्य सरकारों को साथ लाने का प्रयास मोदी सरकार द्वारा किया जा रहा है। मीडिया से मिली जानकारी के मुताबिक़, केन्द्र सरकार के साथ हुई एक मीटिंग में कुछ राज्यों ने निजी गाड़ि‍यों के लिए इस यूनिफॉर्म रोड टैक्स का प्रस्ताव लागू करने को मंजूरी दे दी है। हालांकि, कुछ राज्यों ने प्रस्ताव पर विचार करने को कहा है। इन राज्यों का मानना है कि “'वन नेशन, वन रोड टैक्स” व्यवस्था लागू होने से उनके राजस्व पर असर पड़ेगा।
 
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि रोड टैक्स किसी भी नई गाड़ी का रजिस्ट्रेशन कराते समय देना पड़ता है। बता दें कि जीएसटी के साथ लगने वाले इस टैक्स की वजह से गाड़ी की क़ीमत बढ़ जाती है। भारत के अलग-अलग राज्यों में रोड टैक्स अलग-अलग है यानी कहीं पर ज़्यादा रोड टैक्स है तो कहीं पर कम रोड टैक्स है। ऐसे में ज़्यादा रोड टैक्स वाले राज्यों के निवासी उन राज्यों से गाड़ियां ख़रीदते हैं जहां पर रोड टैक्स कम होता है। लेकिन ऐसे में ज़्यादा रोड टैक्स वाले राज्यों को राजस्व का नुकसान उठना पड़ता है।

जानकारी के लिए बता दें कि साल 2018 में रोड टैक्‍स को लेकर सड़क मंत्रालय ने भी अपनी एक सिफ़ारिश की थी। सड़क मंत्रालय की सिफ़ारिश के मुताबिक़, 10 लाख रुपये से कम क़ीमत वाली गाड़ी पर 8 प्रतिशत की दर से रोड टैक्स लगाया जाना चाहिए। वहीं 10 से 20 लाख रुपये क़ीमत तक की गाड़ी पर 10 प्रतिशत की दर से टैक्स होना चाहिए। वहीं 20 लाख रुपये की क़ीमत से ज़्यादा गाड़ी पर 12 प्रतिशत की दर से टैक्स लगाया जाना चाहिए।
 
जहां तक राज्यों द्वारा रोड टैक्स लगाए जाने की बात है तो हर राज्य में रोड टैक्स लगाने का अलग-अलग फॉर्मूला है। कुछ राज्यों में गाड़ी की मेकिंग, मॉडल, इंजन और सीटिंग कैपेसिटी को देखकर रोड टैक्स लगाया जाता है, तो वहीं कुछ राज्यों में गाड़ियों की सेलिंग प्राइस के हिसाब से रोड टैक्स लगाया जाता है। वैसे आम तौर पर कार रजिस्ट्रेशन के समय 15 साल के हिसाब से रोड टैक्स लगाया जाता है। हालांकि, केन्द्र सरकार का यह प्रस्ताव अच्छा है कि पूरे देश में गाड़ियों पर एक समान दर से रोड टैक्स लगाया जाए, लेकिन आशंका जताई जा रही है कि रोड टैक्स के रेट में बदलाव करने में कुछ वित्तीय पेचीदगियां आ सकती हैं।
 
वैसे सरकार का तर्क है कि “वन नेशन, वन रोड टैक्स” नीति से गाड़ी ख़रीदने वालों को राहत मिलेगी, क्योंकि कुछ राज्यों में रोड टैक्स के दाम अन्य राज्यों की तुलना में ज़्यादा है, ऐसे में पूरे देश में एकसमान रोड टैक्स होने से गाड़ी ख़रीदने वालों को राहत मिलेगी। वहीं सरकार का कहना है कि यूनीफॉर्म रोड टैक्स योजना लागू करने से राज्य सरकारों के राजस्व पर पड़ने वाला असर कम होगा।

यदि पूरे देश में एकसमान रोड टैक्स होगा तो ज़्यादा रोड टैक्स वाले राज्यों के निवासी दूसरे राज्यों में ना जाकर उसी राज्य से गाड़ी ख़रीदेंगे। अब देखना होगा कि मोदी सरकार की “वन नेशन, वन रोड टैक्स” पर कितनी राज्य सरकारों सहमति जताती हैं, और यदि यह योजना लागू होती है तो देखना होगा कि क्या इससे ग्राहकों को फ़ायदा होता है कि नहीं, और वहीं यह भी देखना होगा कि इस नीति के लागू होने से कुछ राज्यों को हो रही राजस्व हानि की पूर्ति होती है कि नहीं?